समभाव
समभाव
राजू बहुत गरीब था।वह एक कारखाने में काम करता था।उसका मालिक बहुत ही अच्छा था।एक दिन राजू की तबियत खराब हो गयी तो वह मालिक के पास गया और हाथ जोड़कर बोला-" मालिक! कल मैं काम पर नहीं आऊंगा।"
मालिक- "क्यों, कोई खास वजह न आने की?.. बहुत छुट्टी लेते हो ऐसे कैसे चलेगा?"
राजू-" मेरी तबियत ठीक नहीं है, कल डॉक्टर के पास जाना है।"
मालिक-" ओह! तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि तबियत ठीक नहीं है! ये लो कुछ रुपये रख लो, अच्छे से इलाज कराओ और जल्दी से ठीक हो जाओ फिर काम पर आना।"
राजू-" मालिक! आप हमें काम से नहीं निकालियेगा। मैं जल्दी से ठीक हो कर आऊँगा।
मालिक-" अरे राजू.. तुम बेफिक्र रहो! तुम ठीक होकर आओ, अपना काम संभालो और हाँ! अगर तुम्हें और किसी चीज की जरूरत पड़े तो जरूर बताना। एक फोन ही कर देना.. मैं खुद ही आ जाऊँगा।"
राजू- " बहुत-बहुत धन्यवाद मालिक! आपने मुझे अपना समझा, आप बहुत अच्छे हैं। मैं आपका ये एहसान जीवन भर नहीं भूलूँगा।
मालिक-" राजू! इसमें एहसान की क्या बात है! ये तो मेरा फर्ज है। तुम कई सालों से यहाँ कारखाने पर काम करते हो। यहाँ जितने भी लोग काम करते हैं, मैं उन्हें नौकर नहीं मानता। भले ही तुम लोग मालिक कहते हो। मैं इस कारखाने का सदस्य तुम सबको मानता हूँ और मानता रहूँगा। तुम सब के सुख-दु:ख में काम आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।" अंत में मालिक बोला-" अब ज्यादा समय न गँवाओ.. रात काफी हो गई है.. तुम घर जाओ। तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है.. मैं अपने ड्राइवर को भेज रहा हूँ, तुम उसके साथ गाड़ी से चले जाओ।"
राजू-" ठीक है मालिक.... जैसी आपकी मर्जी!... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! अब मैं चलता हूँ।"
राजू जाते-जाते मन ही मन सोच रहा था कि-" सचमुच!आज भी धरती पर देवपुरुषों की कमी नहीं है। धर्म, न्याय और नीति आज भी है, जिस दिन ये नहीं रहेंगे,उस दिन धरती रसातल में चली जायेगी।"
संस्कार संदेश-
हमें ऊँच-नीच और छोटे-बड़े का भेद त्यागकर सबको समान और अपनेपन की दृष्टि से देखना चाहिए, तभी दुनिया में शांति, सौहार्द्र, समृद्धि और प्रेम कायम रहेगा।
