शिक्षक एक शिल्पकार
शिक्षक एक शिल्पकार
इस कोविड १९ की लड़ाई में डॉक्टरों ने एक जंग लड़ी। मगर उसके साथ साथ शिक्षकों ने उससे भी बड़ी जंग लड़ी है। शिक्षकों ने बिना किसी भी ऑनलाइन प्रशिक्षण के सब कुछ इतने आसानी से संभाल लिया की उसका कोई जवाब नहीं।
इसीलिए तो कहते है " गुरु बिन ज्ञान नहीं"।
गुरु को ही एक ऐसा वरदान मिला है कि वह किसी भी हालात का सामना कर सकता है।अचानक ऐसा वक़्त आया कि सब कुछ जहां था वहीं रुक गया। ऐसे हालातों में आखिर बच्चों को विद्या कैसे प्रदान की जाए और उनको मानसिक और शारीरिक तौर पर कैसे व्यस्त रखा जाए इसके लिए सब चिंतित हो गए।
मगर शिक्षकों ने हार नहीं मानी। आखिर उन्होंने उसका भी उपाय ढूंढ़ निकाला। और सिर्फ खुद ही नहीं गूगल से सीखकर अच्छे अच्छे विडियोज बनाए बल्कि बच्चों और उनके माता पिता को भी ऑनलाइन प्रशिक्षण कैसे ले ये सीखा दिया। जैसे एक कुम्हार मटकी को आकार देता है, जैसे एक सुनार गहने सुंदर गढ़ता है उसी प्रकार शिक्षक बच्चों को एक अच्छी शिक्षा देकर एक अच्छा इंसान बनान
े के लिए प्रेरित तो करता ही है। और वह समाज में विविध रोजगार करके अपना वर्चस्व दिखाए बस यही एक शिक्षक की इच्छा होती हैं।
मगर इतना सब कुछ करने के बाद शिक्षकों ने बहुत तकलीफें उठाई। शिक्षकों को वेतन कम कर दिया गया। माना कि आम आदमी भी फीस नहीं भर सकता जिसके कारण बिना अनुदानित स्कूल वेतन नहीं दे पा रही है।
मगर क्या शिक्षक का पेट नहीं होता? उनका घर संसार नहीं होता? शिक्षक में एक स्वाभिमान होता है इसलिए वह शिक्षा देने से नहीं चूकेंगे चाहे उन्हें वेतन मिले या ना मिले। मगर सरकार से और आम लोगों से यही दरखास्त करूंगी की शिक्षकों का सम्मान कीजिए। शिक्षक को सम्मान के साथ साथ उनकी रोज की जिन्दगी में आने वाले उतार चढ़ाव में साथ दीजिए।
अपनी सोच बदलिए की शिक्षक आखिर करते क्या है। शिक्षक बहुत कुछ कर रहे है। बस आप उनको महसूस करो और शिक्षक दिन के दिन आपके आसपास जो भी शिक्षक है उनका तहेदिल से सम्मान जरूर कीजिएगा।
आपकी नई सोच ही दुनिया बदल कर रख देगी।