शेरू का साहस
शेरू का साहस
राम अपनी छोटी बहन माया के साथ बाज़ार से कुछ सामान लेकर घर लौट रहा था। बारिश की सम्भावना देख माँ ने चलते समय छाता भी साथ दे दिया था। अचानक ही माया ने राम का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा -
"भैया! वह देखो, शेरू। और वह भीग रहा है।"
तुरन्त ही तेज़ चाल से चलते हुए दोनों ने शेरू के पास पहुँच कर उस पर छाता तान दिया।
शेरू एक कुत्ता था जिससे पिछले ही महीने अनायास ही दोनों का सामना हुआ था।
राम और माया ने बाज़ार से लाये सामान में से कुछ बिस्किट भी निकालकर उसे खाने को दिये। उसने चटपट सारे बिस्किट ख़त्म कर डाले फिर माया के पैरों पर लोटने लगा।
दोनों शेरू से पहली बार पिछले महीने स्कूल से लौटते हुए मिले थे। उस दिन घर से कुछ पहले ही अचानक उनका ऑटो बिगड़ गया। राम और माया ने ऑटो वाले भैया को आश्वस्त किया कि उनका घर कुछ ही दूरी पर है अतः वे पैदल ही चले जाएँगे। कुछ दूर चलते ही उन्हें किसी के द्वारा पीछा किये जाने का आभास हुआ। दोपहर और सूनी सड़क का फ़ायदा उठाकर एक अपराधी क़िस्म के व्यक्ति ने उनपर हमला कर दिया।
वे दोनों अभी सम्भले भी नहीं थे कि हठात् झाड़ियों से निकलकर शेरू ने उस गुंडे पर धावा बोल दिया।
अचानक हुए इस हमले से घबरा कर गुंडा भागने लगा पर तभी सामने से आती पुलिस की पीसीआर वैन द्वारा धर दबोचा गया। देवदूत की तरह प्रकट हुआ शेरू वैसे ही गायब भी हो गया था इस आपाधापी में।
पुलिस द्वारा घर पहुँचाये जाने पर दोनों ने माँ से सारी कथा कह सुनायी तथा शेरू का नामकरण भी कर डाला।
वही शेरू आज जब संयोगवश फिर मिल गया तो दोनों की खुशी का पारावार न रहा और वे उसे सदा के लिए घर ले आये।