साउथ फैरी पोर्ट, हडसन के किनारे
साउथ फैरी पोर्ट, हडसन के किनारे
साउथ फैरी पोर्ट मार्केटप्लेस गए जो हडसन नदी के किनारे है,इसे पहली बार देखा। बहुत अच्छा लगा। नदी किनारे लंबी आराम कुर्सी पर पैर फैलाकर बैठे रहे । फ़ोटो लिए । पिज़्ज़ा खाया।बहुत लंबा बाज़ार साफ़ सुथरा । नीचे फ़र्श पर ईंटों की जोड़ाई। सब जगह चहल -पहल ,आदमी ही आदमी।
एक जगह दो अश्वेत व्यक्ति तरह तरह की कलाबाजियां दिखा रहे थे, ये बाद में डोनेशन माँगने लगे।
एक जगह बैठकर कोई अकेला ही व्यक्ति म्यूज़िक बजा रहा था।
एक जगह एक लड़की खड़ी होकर माइक पर गाना गा रही थी और म्यूज़िक बजा रही थी।
एक जगह है एक ग़ुब्बारे वाला ग़ुब्बारे बेच रहा था। दाम पूछने पर कहने लगा कि “जो चाहो दे देना।” फिर बोला-“ थोड़ी देर के लिए जा रहा हूँ , बाकी बाद में आकर बेचूंगा।”
कहीं लोग कुछ खा रहे हैं ,कहीं कुछ बेच रहे हैं।होटलों के आगे मेन्यू कार्ड लेकर खड़ी लड़की ग्राहकों को आकर्षित कर रही है। तो कहीं थाली में खाने का सामान लेकर चखने का आमंत्रण दे रही है। चिकन, पनीर, चाइनीज़, मैक्सिकन, नूडल्स सब तरह के खाने हैं।
बाज़ार में लोगों की भीड़ देखकर लगता है कि घरों में खाना पकाना बन्द हो गया है ।
अपने ही घर में दोनों बच्चों ने घर का भोजन खाना बन्द कर दिया है। बाजार में ही सुबह का नाश्ता,बाजार में ही दोपहर का खाना।बाजार में ही शाम का स्नैक या बर्फ की आइसक्रीम । उन्हें पता चला कि साउथपोर्ट फैरी घूमने जा रहे हैं,बस फिर घर का खाना कहॉं अच्छा लगना था।
लगता है कि न्यूयार्क में घरों में खाना बनाने का रिवाज़ छुटता जा रहा है।पति पत्नी दोनों काम पर निकल जाते हैं। बच्चे स्कूल में, स्कूल के बाद आफ़्टर केयर में या बेबी सिटर के पास। दम्पती रात को थके -माँदे घर में आकर खाना बनाएँ , बर्तन मलें,घर की सफ़ाई करें ,कपड़े धोएँ,या फिर दूसरे दिन की तैयारी में थकान मिटाएँ ?इसी पर जॉन डी. रॉकफेलर के ये शब्द याद आ रहे हैं-“ रोज़ का नया दिन एक नयी शक्ति और नया विचार देता है।”
लगता है कि अब की जनरेशन खाना पकाना बंद कर देगी। भारत में एक बुजुर्ग के डॉक्टर लड़के ने जब डॉक्टर लड़की से शादी की, तो उन बुजुर्ग का कहना था कि- “अब चूल्हे में घास उगेगी।” अर्थात् खाना नहीं पकेगा। उस ज़माने में मिट्टी के चूल्हे होते थे जिन्हें राख और गोबर मिट्टी से लीपा जाता था। यदि चूल्हे में काम न किया जाए तो घास उगने के पूरे आसार। किसने सोचा था कि चूल्हे ही ख़त्म हो जाएंगे। उनकी जगह स्टोव और और गैस ले लेगी। यहॉं अमेरिका में पाइप से गैस आती है। अब तो भारत में भी पाइप से गैस आने लगी है।गैस ख़त्म होने या सिलेंडर मंगाने का काम नहीं। चूल्हे की जगह कुकिंग रेंज होते हैं।जिनमें ऊपर गैस से खाना पकता है, नीचे बिजली से अवन काम करता है।
आजकल तो बाथरूम में फ़्लश चलाने की भी ज़रूरत नहीं। अपने आप पानी चल जाता है।नल को चलाने की ज़रूरत नहीं, हाथ आगे करो, नल से अपने आप पानी निकल आता है। गीले हाथ तौलिये से पूछने की ज़रूरत नहीं,अपने हाथ आगे करो,बिजली से चली गर्म हवा से सूख जायेंगे। दरवाज़ा खोलने की ज़रूरत नहीं , आगे बढ़ो दरवाज़ा अपने आप खुल जाएगा, बंद हो जाएगा। बिजली का लैंप जलाने की ज़रूरत नहीं, अपने हाथ आगे करो, अपने से बिजली जलने बुझने लग जाएगी तीन तरह की- मीडियम, तेज,नाइट लैंप।
चमत्कार। बटन दबाओ गाड़ी चल देगी। ब्रेक, एक्सीलरेटर का काम नहीं ।गियर का काम नहीं। फ़ोन करो हाथ में लेकर, कहीं तार नहीं। छोटा सा पाकेट सेल फ़ोन। मुँह के पास भी ले जाने की ज़रूरत नहीं। एक छोटा सा तार कान से ठोड़ी के पास फिट कर लो और दुनिया भर की बातें करते रहो। शुरू में देखने में लगता है कि पागल व्यक्ति है अपने आप से ही बात कर रहा है और हंस रहा है। पर नहीं, यह साईंस का चमत्कार है। छोटे छोटे TV, दुनिया भर की ख़बरें सुनो ,ऑनलाइन प्रोग्राम देखो।
कार में कार रोककर टोल( पथ कर) देने की ज़रूरत नहीं है, कैश कार्ड कार में लगा दो, उसे दिखाकर गाड़ी आगे निकल जाएगी ।
दुकान पर सामान ख़रीदने के बाद हिसाब लगाने जोड़ने की ज़रूरत नहीं। जो सामान ख़रीदा, उसका टैग एक स्कैनर के आगे किया, उस पर लाइट पड़ी और तुरन्त कंप्यूटर पर सब डेटा तैयार और पूरा काग़ज़ निकलकर तैयार। हर चीज़ की पूरी लिस्ट, कितना पैसा दिया, कितना वापिस किया, सब कुछ तारीख़ व दुकान के नाम के साथ नोट किया हुआ ।
स्कूल में शिकायत करने गए कि बच्चों की हैंडराइटिंग पर ध्यान नहीं दिया जाता, साफ़ लिखावट नहीं है। तो टीचर ने कहा कि -“ पैनमैनशिप ( सुलेखन) की ज़रूरत नहीं । आज कल तो टाइप करके कंप्यूटर से सब काम होता है । कंप्यूटर को चलाने की ज़रूरत नहीं। हाथ की अंगुली से छुओ, कंप्यूटर चलने लगेगा।”
मैथ्स और साइंस की टीचर न तो बच्चों को काम ( होमवर्क) देती है, न ही देखती है। तरीक़ा है कि- कंप्यूटर खोलो, सवाल देखो, और उनके जवाब टीचर को ईमेल कर दो।
टीचर कंप्यूटर पर हँसी मज़ाक के सवाल भी डाल देती है। जैसे कि-तुम्हारी टीचर का क्या नाम है, क्या उम्र है, उसे किस रंग के कपड़े पहनने पसंद हैं ?” मज़ाक करो और पढ़ो।
स्कूल में किताब कॉपियों का काम नहीं है। शीट देते हैं और काम करते हैं ।अब वे शीट आप रखो या फेंक दो। रोज बीस शीट मिल जाती हैं।
सातवें ग्रेड( कक्षा) में पढ़ने वाली बच्ची बोली-“ कहॉं रखें इतनी शीट ?” तीसरे ग्रेड में पढ़ने वाली बच्ची बोली-“ हमने मैथ्स करा, शीट टीचर को दी, टीचर वापस करती हैं ,तो शीट डस्टबिन में डाल देते हैं।”
मैंने कहा-“ उठाकर रखा करो , कॉपी है तुम्हारी।”
तो उत्तर होता है- ज़रूरत नहीं है । कितने काग़ज़ जमा करेंगे ?”
रोज अख़बार आता है। कम से कम चार -पाँच किलो एक अख़बार का वज़न। डेढ़ सौ के क़रीब पृष्ठ । कितने ही कॉलम- नेशनल रिपोर्ट, मैट्रो सेक्शन, स्पोर्ट्स सन डे, सन डे स्टाइल, वीक इन रिव्यू,द सिटी, सन डे बिज़नेस, जॉब मार्केट, स्पोर्ट्स वैन्सडे, आर्ट्स एंड लैज़र, मैनहैटन ईस्ट साईड, ओटो मोबाइल्स, रियल इस्टेट, बिज़नेस डे, बुक रिव्यू, टेलीविज़न बुकलेट, द न्यूयॉर्क टाइम्स मैगजीन ।
कितने ही कॉलम और हर किसी का सेपरेट सप्लीमेंट। हर सप्लीमेंट में बीस,तीस, चालीस तक पृष्ठ। ऊपर से दुनिया भर के विज्ञापन । हर बड़ी दुकान, डिपार्टमेंटल स्टोर का अपना अपना सेल, प्राइस, कट ऑफ। आकर्षण के तरह तरह के तरीक़े । फैशन मैगजीन ।मेसी- दुनिया का सबसे बड़ा डिपार्टमेंटल स्टोर। गेप , गैस, ओल्ड नेवी, लिटिल टू, बड़े बड़े नाम कपड़ों में। गुक्की - पर्स की दुनिया में, चप्पल की दुनिया में,चश्मे की दुनिया में बड़ा नाम। केई जैसे बड़े बड़े मॉल न्यू जर्सी में।
कार खड़ा करने का रेन्टल 250 डॉलर प्रति माह।मकान का किराया दो हजार डॉलर से तीन हजार पॉंच सौ डॉलर प्रति माह। बच्चों की पियानो सीखने की फ़ीस 45 डॉलर 45 मिनट के,अर्थात् प्रति मिनट एक डॉलर। पियानो ट्यूनिंग के एक बार के 70 डॉलर। पियानो रैंट पर लेने का रेट 55 से120 डॉलर तक, अर्थात् रोज के चार डॉलर ।पियानो ख़रीदो तो मूल्य एक हजार से दस हज़ार डॉलर तक। सब जगह खर्चा ही खर्चा। टेनिस लेसन,म्यूज़िक लेसन सबमें खर्चा।
स्कूल में बच्चों को पहाड़े याद करने की ज़रूरत नहीं। कंप्यूटर आ गए। छठे ग्रेड में 20 बच्चों की क्लास में मैथ्स के टेस्ट के दिन 20 कंप्यूटर दे दिए। इस तरह के कंप्यूटर आ गए कि मैथ्स के साथ ज्योमेट्री, एलजेब्रा,और ट्रिगनोमेट्री सब कंप्यूटर पर कर लो।
इसका परिणाम है कि कुछ लोग विशेषज्ञ और कुछ लोग अज्ञानी। यदि कंप्यूटर नहीं हो तो बच्चे हिसाब नहीं कर सकते ।यदि कंप्यूटर नहीं हो तो बच्चे लिख नहीं सकते। सब जगह आदमी की जगह मशीनें लेती जा रही है। ऐसी ऐसी जगह भी जहॉं कोई सोच भी नहीं सकता।
हैल्थ सर्टिफ़िकेट दिए बिना स्कूल से बच्चों का नाम कट जाता है।बच्चों के सिर में जुएँ हो गईं। तो टीचर ने उन्हें स्कूल से निकाल कर ऑफ़िस में बैठा दिया, पैरेंट्स को फोन कर दिया कि आकर बच्चों को ले जाएँ, जब तक जुएं साफ़ न हो जाएं स्कूल न भेजें। जुएँ निकालने के लिए जुएँ निकालने में एक्सपर्ट के यहॉं भेजने के लिए नाम बता दिया। वहॉं जाकर पूछा तो 70 डालर प्रति घंटा जुएँ निकालने के।ज्यादा जुएँ हुईं तो और ज्यादा टाईम और ज्यादा डॉलर। दो बच्चे हैं तो डेढ़ सौ- दो सौ डालर सिर से जुएँ साफ़ कराने के लग गये।
तो फिर बाज़ार से जूँ मारने का शैम्पू लाए, पतली कंघी लाये और घर पर शैम्पू कर छह घंटा शाम को, दो घंटा सुबह बैठकर जूँ निकाली और तब बच्चों को स्कूल भेजा ।
कई कई बच्चे 4-5 दिन तक स्कूल नहीं जा सकते थे। पर जब हमारे बच्चे दूसरे ही दिन पहुँच गये तो टीचर ने उन्हें दूसरी स्टाफ़ के पास भेजा, जिसने ग़ौर से बच्चों का एक एक बाल हटाकर जूँ चेक की। एक का सिर साफ मिला, दूसरी के सिर में जूँ का एक अण्डा मिला। फिर उसने और मुस्तैद होकर सिर का एक एक बाल देखा ।तब उसे क्लास में जाने दिया गया।
पॉल फ्रैंक किड्स के कपड़े बनाने का हाई नेम है। एक एक टी शर्ट 30 डॉलर-20 डॉलर की। उस पर पॉल फ्रैंक के बन्दर बने हुए। छोटे बच्चों के कपड़े भी बहुत मंहगे । भारत से यहॉं का सब कल्चर ही फर्क है।
