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chandraprabha kumar

Others

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chandraprabha kumar

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अमेरिका के मैनहैटन में

अमेरिका के मैनहैटन में

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        कई वर्षों पूर्व अमेरिका के आकर्षण से आकर्षित होकर और मैनहैटन में रह रही अपनी बेटी से मिलने के आकर्षण से खिंचकर और कुछ और व्यक्तिगत कारणों से अमेरिका में आकर 15 मई को प्लेन से उतरे । तब से लिखने की सोचते सोचते संस्मरण को लिपिबद्ध करना चाहते हुए भी  लिखना नहीं हो सका।अमेरिका में रहते रहते चार महीने हो गए दो महीने और बाक़ी है । कितनी बातें  हैं करने को , कितना काम करना बाक़ी है ।कितना पढ़ना लिखना,देखना सुनना समझना बाक़ी है।

       मैनहैटन की ऊँची ऊँची गगनचुंबी इमारतें ,यहॉं की वैभवशालिनी बड़ी बड़ी दुकानें, उनमें  भरा पड़ा दुनिया भर का सामान, बड़े बड़े होटल, रेस्तरां, जगमगाती बत्तियाँ, एक तरफ़ यह सब , और सब -वे की ट्रेनें। सब कुछ भव्य ,आलीशान।सबसे घनी आबादी वाले न्यूयॉर्क शहर का ही एक नगर मैनहैटन है।

          यहॉं कार राइट हैंड ड्राइव की जाती है। यहॉं सब सिस्टम ब्रिटेन से उल्टा है।लिफ़्ट को एलिवेटर कहते हैं। फ़्लैट को अपार्टमेंट कहते हैं। मेट्रो को सब -वे कहते हैं। बिजली के स्विच ऊपर को उठाते हैं तो जलते हैं और नीचे करते हैं तो बंद होते हैं। पानी नलों से ऊपर की ओर निकलता है, आसानी से मुँह से पानी पी सकते हैं। यहॉं की करेंसी डॉलर और सेण्ट है।गैलन से दूध ,पेट्रोल  पानी नापा जाता है। क्वार्ट से आइसक्रीम  नापी जाती है। यहॉं डेसिमल सिस्टम नहीं है। स्कूलों में स्पेनिश ,फ्रेंच ,चाइनीज़ भाषा पढ़ाई जाती है।

         यहॉं के भारतीय बच्चे अमेरिकनाईज्ड हो गए हैं। क़मीज़. नहीं समझते, शर्ट कहना पड़ता है। रेगिस्तान नहीं समझते, डेजर्ट कहना पड़ता है। हिन्दी ही नहीं समझ पाते। भारतीय इतिहास,भूगोल, पौराणिक कथाएं,  सभ्यता नहीं समझते। अपनी सभ्यता ,संस्कृति ,इतिहास ,भूगोल ,आबो हवा से कटकर एक नई दुनिया में रह रहे हैं।

              4 जुलाई 1776 को अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।  इसी दिन अमेरिका को ब्रिटिश साम्राज्य से आज़ादी मिली थी ।इस दिन मैनहैटन की हडसन नदी में आतिशबाज़ी होती है।आज का सबसे ताक़तवर देश अमेरिका  कभी ब्रिटिश का लम्बे समय तक गुलाम रहा था।कहा जाता है कि कोलम्बस भारत की यात्रा पर निकला था, पर गलती से  अमेरिका पहुंच गया। कोलम्बस 12 अक्टूबर 1492 को अमेरिका पहुँचा था, अमेरिका की खोज का श्रेय उसे ही दिया जाता है। कोलम्बस ने अपने लोगों को  इस नए द्वीप के बारे में बताया। तब ब्रिटिश लोगों ने सबसे ज़्यादा तादाद में वहॉं पहुँच कर अमेरिका पर क़ब्ज़ा कर लिया। यहॉं के मूल निवासी रेड इंडियन थे। अमेरिका ने आज़ादी मिलने के बाद अपने यहॉं के सब सिस्टम ब्रिटिश से उल्टे चलाये।

       कोलोराडो नदी संयुक्त राज्य अमेरिका की एक प्रमुख नदी है और यहॉं की जान है। ग्रैंड कैनियन इसी की वजह से बना। डीप वैली में यह नदी नीचे- नीचे बहती है। इसके आसपास टूरिस्ट के आकर्षण है। राफ्ट (बेड़ा) से नदी का टूर है।ब्लैक कैनियन और विलो- बीच देखने जाते हैं।हूवर डैम देखने जाते हैं।

    यहॉं सब जगह  अनछुई हैं ,नई  दुनिया ।यहॉं न्यूयार्क के एक गॉंव में हौवे कैवर्न्स ( गुफा) है,  जिसमें ज़मीन से नीचे 150 फ़ीट में पहाड़ियॉं व नदी है।यह संयुक्त राज्य अमेरिका की सबसे बड़ी गुफा है और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।तो नायगरा फाल्स में नायगरा रिवर ऊपर से गिरती है। यह भी प्रसिद्ध टूरिस्ट आकर्षण है।

        यहॉं मैनहैटन  पश्चिम में हडसन नदी व पूर्व में ईस्ट नदी के बीच सैंडविच है। यही ईस्ट नदी आगे जाकर  हार्लेम नदी बन जाती है। हडसन नदी पर ब्रिज है।ईस्ट रिवर पर ब्रुकलिन ब्रिज है।

        तो दूसरी तरफ दूसरा पहलू।यहॉं समुद्र किनारा है। अटलांटिक महासागर का पानी बॉयल होकर  ऊपर उठता है गोल चक्कर काटता हुआ। और ऊपर जाकर ठण्डी हवाओं से मिलकर हरिकेन ( hurricane) बवण्डर का रूप ले लेता है। हरिकेन तटीय द्वीपों को तबाह करता पूरे बड़े- बड़े शहरों को डुबाता चलता है। फ़्लोरिडा राज्य तो लगता कि हरिकेन ,टोरनाडो , बारिश, तूफान और तेज हवाओं की प्रिय जगह है।13 अगस्त को हरीकेन चार्ली आया। अपने साथ 145 प्रति घंटा प्रति मील की रफ़्तार से हवा लाया, और अपने रास्ते के गाँवों ,शहरों ,द्वीपों,कस्बों को तहस -नहस करता हुआ चला। मोबाइल घरों का ख़ात्मा हो गया ,कुछ घरों की छतें उड़ गईं, कुछ की दीवारें गिर गईं। आसमान में काली घटाएँ घिर आयीं। दिन में अंधेरा छा गया। तेज हवा ,बारिश ने मिलकर बाक़ी कसर पूरी कर दी। खिड़कियों के शीशे टूट गए। घरों में पानी घुस आया। बाड़ें टूट गयीं। कुछ घरों की छतें उड़ गईं। रेलवे लाइन, बस यातायात, ऑफिस,स्कूल साथ बंद। हवाई जहाज़ की उड़ानें कैंसिल। सब जहाँ का तहाँ स्थिर हो गया। लोग घरों में बन्द।टी. वी. व रेडियो पर लगातार चेतावनी दी जा रही है -“टोरनाडो आएगा तो आप अपने बेसमेंट ( तहखाने)में चले जाए और बारिश आएगी तो दूसरी मंज़िल पर चले जाए।”

           आख़िर जिनके पास केवल एक मंज़िला मकान है और बेसमेंट भी नहीं है ,वे जाएं तो जाएं कहॉं ? प्रकृति के कोप को झेलें जिसके ऊपर कुछ बस नहीं।

       लोग इस तूफ़ान से परेशान थे कि दूसरा तूफ़ान हरीकेन फ़्रांसिस आया तीन हफ़्ते के भीतर।6 सितंबर को यहॉं लेबर डे की छुट्टी थी। भारत में छह सितंबर व सात सितंबर की जन्माष्टमी थी। पाँच सितंबर का रविवार और चार सितंबरट को शनिवार था। यहॉं तीन दिन की लगातार छुट्टी। लोग उत्साहित होकर लोंग वीकएंड का प्रोग्राम बना रहे थे । पर कहाँ ? शुक्रवार तीन सितंबर से ही हरीकेन फ्रांसिस अटलांटिक महासागर से उठा, बहामा में तबाही मचा कर आगे मियामी होता हुआ फ़्लोरिडा में घुस गया। डिज़्नीलैंड बंद हो गया। केनेडी स्पेस सेंटर बंद हो गया। उड़ाने रुक गईं। हरीकेन फ़्रांसिस सब नुक़सान कर आगे मैक्सिको की ओर बढ़ गया। तूफ़ान की गति बहुत तेज़ थी । 145 मील प्रति घंटा की रफ़्तार से हवाएँ चल रही थीं पूरब से पश्चिम की तरफ। तेज बारिश हो रही थी। 13 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से 70 मील के रेडियस में फैला हरीकेन फ़्रांसिस तबाही मचा रहा था अपनी शिथिल मंथर गति से। यह रुक रुक कर चल रहा था।

      जबकि हरीकेन चार्ली तीव्र गति से आया था और चला गया। और यह तूफान फ्रॉंसिस धीमी गति से चल रहा था ठहर ठहर कर।ठोस तबाही करता हुआ। इसको लोगों ने मॉन्सट्रस हरीकेन नाम दिया। इसके जाने की प्रार्थना की। पर सब बेकार। यह आकर रहा। अभी लोग इससे साँस भी नहीं ले पाए थे कि तीसरा हरीकेन आईवन (Iwan)   के बारे में सुन रहे हैं कि यह इससे भी ज्यादा भयंकर है।

        पिछले दो भयंकर तूफ़ान इतने कम समय के अंतराल में पहली बार आए थे। सन् 1950 में भी दो तूफ़ान आए थे पर उनके मध्य डेढ़ दो महीने का अंतर था। और अब यह तीसरा जान लेवा तूफ़ान। गवर्नर ने कहा कि यह सबरियल लगता है, हमारे सपने और कल्पना से भी बाहर। शायद हॉलीवुड के लोग इसको सोच सकते हों ,पर आम आदमी नहीं। यह जमाइका की तरफ़ जा रहा है ,160 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से तेज हवाएँ चल रही है।

      पहले दो तूफ़ानों में 40 बिलियन से ज़्यादा की क्षति आँकी गई। कितने ही लोग बेघरबार के हो गए। हज़ारों मकान क्षतिग्रस्त हो गए। कितने ही मिलियन लोगों से घर ख़ाली कराए गए। यहॉं भी सब कुछ अच्छा ही अच्छा नहीं है। यहॉं के मौसम का अपना मिज़ाज है।



         



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