“और, ऐसा लगता है कि कल ही शाम को मैं इन कुंजों में टहल रहा था...” “और, ऐसा लगता है कि कल ही शाम को मैं इन कुंजों में टहल रहा था...”
अपने नाम की ही तरह बहुत सुंदर थी, उसके सोने जैसे बाल, बड़ी बड़ी कजरारी आंखें। अपने नाम की ही तरह बहुत सुंदर थी, उसके सोने जैसे बाल, बड़ी बड़ी कजरारी आंखें।
अगर फिर भी इसने अपने आप में बदलाव नहीं किया तो अपने विनाश का कारण वह स्वयं होगा। "धरती अगर फिर भी इसने अपने आप में बदलाव नहीं किया तो अपने विनाश का कारण वह स्वयं होगा।...