“और, ऐसा लगता है कि कल ही शाम को मैं इन कुंजों में टहल रहा था...” “और, ऐसा लगता है कि कल ही शाम को मैं इन कुंजों में टहल रहा था...”
कहानी तब की हैं जब मैं गुवाहाटी विश्व-विद्यालय में अपना ग्रेजुएशन कर रहा था। कहानी तब की हैं जब मैं गुवाहाटी विश्व-विद्यालय में अपना ग्रेजुएशन कर रहा था।