रिश्ता
रिश्ता
एक समय की बात है जब सभी जीव-जंतु इंसानों की भाषा समझ लेते थे, और वो भी बड़ी ही आसानी से। क्योंकि तब और अब के इंसान में काफी फर्क था। तब इंसानों का जीवन ऐसा ऐशो-आराम वाला नहीं था, और न ही वो इतना स्वार्थी था जितना अब हो गया है। पहले वो जानवरों को सिर्फ जरूरत जितने भोजन के लिए मारते और खाते थे, और जंगलों से भी जरूरत का ही दोहन करते थे।
पर जैसे-जैसे इंसानों के दिमाग का विकास होने लगा, वो लालची, स्वार्थी, मक्कार और चालबाज होते गए। और उनका और जानवरों का जंगली साथ लगभग पूरी तरह खत्म हो गया। अब इंसान बिल्कुल ही अलग जीवन जीने लगा है, पर जानवर वो तो वैसे ही हैं। वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोज ही एक बने हुए नियम का पालन करते हुए जी रहे हैं,और हाँ, इंसानों से दूर भी हो गए हैं।
पर वो उनकी बोली हुई बात आज भी सुनकर समझ जाते हैं। तभी तो वो जानवर जो इंसानों के पूर्वजों के साथ जंगलों में उनके आसपास घूमते रहते हुए जीवन जीते थे, अब इंसानों को देखते ही या तो उनसे दूर भागते हैं या फिर उन पर हमला कर देते हैं। ये सब इसलिए ही तो होता है क्योंकि वो इंसानों के बदले और बिगड़े हुए स्वभाव से खौफ में रहते हैं। उन्हें पता है कि उनका शिकार कर दिया जाएगा - कभी वीरता दिखाने के लिए, कभी फैशन के लिए, कभी तंत्र-मंत्र के नाम पर, तो कभी उन्हें पकड़कर पिंजरों में डालकर उनकी आजादी छीन ली जाएगी। और उन्हें देखने आने वालों से टिकट लगाकर पैसे कमाए जाएंगे, या फिर दवाओं के ट्रायल होंगे उन पर।
