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रबरस्टैम्प

रबरस्टैम्प

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अजी सुनिए न ! तनि हमको भी शहर ले चल के सब घूमा , दीखा दीजिये....! कहाँ, कैसे, क्या काम होता है, हमको भी तो सीखना और जानना होगा न...!” पांचवी पास विमला, जो आरक्षित सीट से गाँव में सरपंच चुनी गई थी,अपने पति नरेश को शहर जाते हुए देख कर फरमाईश कीं |  “धत  ! तुम का  करोगी शहर जा कर ! मैं हूँ न इन सब कामों के लिए ! हम तो सब देख ही लेगें ! तुमको तो बस दस्तख़्त  करना है,हम जहाँ कहेंगे वहाँ पर ! ये जो तुम्हारे दस्तखत का रबर स्टैम्प मैंने बनवाया है, वो तो मेरे पाकिट में हमेशा है ही !” यह कहते हुए नरेश बाहर निकल गये | विमला पहले के  ही तरह  रसोई में  और गाय भैंस को सानी पानी देने के अपने काम में गईं | सरपंच के नाम पर विमला रबरस्टैम्प में ही रहती हैं |


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