राम की बदमाशियां - भाग 3
राम की बदमाशियां - भाग 3
एक बार फिर मैं लौटी हूँ राम की शरारत की कहानी के साथ।
अब आपको तो पता ही है कि दोस्तों में तो झगड़े होते रहते है, और झगड़े के चलते वो कुछ छोटी बड़ी चीज़ें, मजाक एक दूसरे के साथ करते है। आओ देखे राम ने क्या किया था।
राम के खूब सारे दोस्त थे। एक दिन ऐसे ही खेलते खेलते राम की केहरु नाम के अपने दोस्त से झगड़ा हो गया वो भी काफी छोटी सी बात पर। और झगड़े के चलते सारे दोस्त दो टीमों में बंट गए। एक जो राम के तरफ से थे और दूसरा टीम जो केहरु के तरफ से थे। शाम हो गयी थी, घर जाने का समय हो गया था। सबने कहा अभी चलते है कल देखेंगे।
राम घर तो लौट रहा था पर उसके दिमाग में झगड़े को लेकर कुछ खुराफाती चल रहा था। उसने चलते चलते अपने टीम के दोस्तों से धीरे से कहा कि आज रात बारह बजे चुपके से मुझे मेरे खेत में मिलना। दोस्तों ने कारण पूछा पर राम ने कुछ बताया नहीं और कहा कि मिलना फिर बताऊंगा।
अब आप ही सोचिये रात के बारे बजे घर से बहार वो भी अकेले वो भी गांव में!! सोच कर ही डर लग रहा है।
12 बज गए सभी दोस्त राम से उसके खेत में मिले और राम ने उन्हें अपनी रणनीति बतायी, और सभी मिलकर केहरु के खेत में घुस गए उसका चने का खेत था। पूरा चने का खेत रातों रात साफ कर दिया, फेंका नहीं उसे भूज के खा लिए बचा हुआ बांट लिया फिर भी बच गया अब पूरा खेत जो साफ किया था तो वो राम ने अपने घर की भैंस को चुपके से खिला दिया। और सब घर चले गए जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।
सुबह जब राम के पिताजी भैंस जिसको वो रानी बुलाते थे उसे जब उसका खाना दिए तब उसने नहीं खाया क्योंकि राम ने उसे रात में चना खिलाया था।
राम के पिताजी को लगा कि रानी बीमार हो गई है इसलिए उन्होंने डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने बताया कि रानी का पेट भरा है इसलिए वह नहीं खा रही है।
फिर पिताजी समझ गए कि ये राम की शरारत है। फिर एक बार राम को केहरू के पिताजी से भी डांट पड़ी, अपने पिताजी से भी डांट पड़ी और मां से मार भी पड़ी।
राम और उसकी शरारत