राजा का न्याय
राजा का न्याय
बहुत समय पहले की बात है एक राजा था जो कि बहुत बड़े साम्राज्य पर राज करता था राजा बहुत ही न्यायप्रिय और विद्वान था वह सबका हितैषी था सर्व प्रजा राजा के न्याय और व्यवहार से बहुत खुश थे प्रजा में संतोष का भाव।
एक दिन की बात है वहाँ के किसानों के घर चोरी हो गई किसान चोरी से बहुत ही परेशान हो गए उसे समझ में नहीं आ रहा था की वह अपनी चोरी हुए धन को कैसे वापस पाए तो वहां के अन्य लोगों ने सलाह दी वह राजा के दरबार में जाकर राजा को चोरी किए हुए धन के बारे में बताए तो उनके साथ निश्चित रूप से न्याय होगा।
तो सबकी बात मानकर किसान राजा के दरबार में पहुँच गए और राजा के सामने फरियाद करने लगे और राजा से अपने चोरी हुए धन के बारे में बताएं तो राजा ने किसानों की बात को सुनकर अपने मंत्री को आदेश दिया की जल्द से जल्द किसानों के धन के बारे में पता लगाये की किसने किसानों के घर चोरी की है।
राजा के मंत्री भी राजा की तरह काफी विद्वान और बुद्धिमान थे जिस पर राजा को अधिक विश्वास था तो अपने राजा के आदेश को ही मंत्री ने चोरों का पता लगाने का काम शुरू कर दिया।
शाम को जब मंत्री अपने घर पहुंचा तो चिंता की लकीर अपने माथे पर स्पष्ट दिखा रहा था, मंत्री चोरों का पता लगाने के लिए उपाय खोज रहा था। इतने में मंत्री की पत्नी ने तुरंत अपने पति की चिंता को जान ली और चिंता का कारण पूछा मंत्री ने सारी बात बताई तो मंत्री की पत्नी ने अपनी बुद्धि का परिचय देते हुए ये तो बहुत ही आसान है इसके लिए मैं आपको एक उपाय बताता हूं, मंत्री की पत्नी ने कहा कि आप उस किसान के घर कुछ धन रखवा दीजिये और ये भी घोषणा कर दीजिये की राजा ने किसानों के धन की अधिरोपण कर दिया और चोरी के बदले राजा ने दो गुना धन दिया है तो मंत्री ने अपनी पत्नी की बात मान के ऐसे ही किया।
किसान को राजा की तरफ दोहरा धन दिया गया और इसकी बात पूरे राज्य में फैला दी गई जिसकी खबर उन चोरों तक भी पहुंच चुकी थी। मंत्री ने अपनी पत्नी के बताए उपाय के अनुसार भेष बदल कर रात में किसानों के घर पर अपने पहरेदारों के साथ निगरानी करने को कहा, मंत्री ने अपने पहरेदारों के साथ भेष बदल कर किसानों के घर के पास रात में पहरा देने लगे तो उर चोरों में लालच की भावना और अधिक बढ़ गई वे फिर से किसानों के घर चोरी करने जा पहुंचे,
अँधेरी रात में उन चोरों ने अपना चेहरा ठीक किया किसानों के घर में फिर चोरी करने पहुँच गया और फिर सारा धन जल्दी से इकट्ठा करके वे बाहर जाने लगे इतने में मंत्री और उनके पहरेदारों ने उन्हें तुरंत पकड़ लिया,
अगले दिन वे राजदरबार में राजा के सामने उपस्थित हुए तो चोरों ने शर्म से अपनी गलती मान ली और राजा को अपने द्वारा चुराए गए सारे धन के बारे में बता दिया जिसके बाद किसानों को अपना सारा धन एक बार फिर से मिल गया।
और राजा ने उन चोरों को कारागार में डालने का आदेश दिया तो चोर क्षमा याचना करने लगे तो राजा ने बोला की यदि तुम लोग चोरी करना छोड़ दो तो कारागार में नहीं डाला जाएगा तो चोरों ने फिर कभी चोरी न करने का प्रण तो उन चोरों को किसानों के खेत में एक साल तक काम करने को कहा गया,
सब राजा के न्याय से बहुत ही प्रसन्न होकर दरबार में राजा की जयजयकार होने लगी, इस प्रकार सभी को न्याय मिल गया।
