राधिका को क्या करना चाहिए ?

राधिका को क्या करना चाहिए ?

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रोशनी को रात 1 बजे से मैंने 120 कॉल किये थे और उसने 121वां कॉल उठाया मेरा !

"हेलो ! रोशनी"

"हां बोलो !"

"कब से कॉल कर रहा हूँ आपको, कॉल उठाना चाहिए ना !"

"अरे ! कैसे उठाती मैं सोई हुई थी अभी उठी हूँ,तुम्हारी वजह से कल रात को कितना बड़ा झमेला हो गया ?"

"सॉरी रोशनी, आई ऍम सॉरी, रोशनी"

"सॉरी मुझे मत कहो उसे कहो,तुम्हे जरा भी अंदाज़ा है,तुमने क्या किया है वो,उसे कितनी डाट पड़ी,उसे उसके पापा ने मारा,भैया ने मारा उसकी मम्मी उसके सामने रोई, फिर वो चुप चाप सब कुछ सहती रही एक लफ्ज़ तक ना बोली ना ही चेहरे पर एक भाव प्रकट किया पत्थर की तरह बन गई थी,तुम्हे ऐसा नहीं करना चाहिए था गोपाल।"

"रोशनी मैं जानता हूँ मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है,प्लीज रोशनी उसका ख्याल रखना और उसे कहना हिम्मत रखे यु,सब ठीक हो जायेगा बस हिम्मत ना हारे,मैं कहते हए फ़ोन पर ही रो पडा,रोशनी मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।"

"वो आपका प्यार है या जिद ? प्यार होता तो आप उसे समझते,ऐसा नहीं करते,आपकी जिद ने सब कुछ किया है, अब उसे समझो और उसका साथ दो, मैं उसके साथ हूँ उसका ख्याल रखूंगी तुम टेंसन मत लो और अपने करियर पर फोकस करो क्यूंकि तुम्हारा अच्छा करियर ही उसे तुम्हारे पास ला सकता है।"

"ख्याल रखना उसका और हाँ उसे खाना खिला देना,वरना वो खाएगी नहीं" मैं फूट फूट कर फ़ोन पर रोने लगा, मैं अपने आप को रोक नहीं पाया,मुझे सर दर्द होने लगा मेरी नाक बहने लगी,मेरी सांसे बढ़ने लगी,मैंने फ़ोन काट दिया और मैं दिवार के सहारे टिककरफूट फूट कर रोने लगा।

"गुड मोर्निंग मैम,कैसे हो ?"

"गुड मोर्निंग गोपु,एक दम फर्स्ट क्लास तु बता कैसा है ?"

"जैनब मैम मेरी टीचर भी थी,दोस्त भी और सहकर्मी भी, वो मेरी टीचर रह चुकी थी,और अभी हम दोनों साथ साथ एक ही जगह जॉब करते थे और में उनसे अक्सर हर बात शेयर करता था।

मैम, मैंने रूहांसे स्वर में कहा ।"

"हां बोल क्या हुआ, मैम ने मुस्कुराते हुए कहा।

"मुझे आपसे बात करनी है ।"

"हां बोल क्या हुआ ?"

"यहाँ नहीं अकेले में, मैंने बहार बरामदे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

ओके चल बाहर बैठकर बात करते हैं।"

और हम दोनों बरामदे की तरफ चल दिए ।

"बोल अब क्या हुआ ?" मैम ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा ।

मैंने मैम की तरफ देखा मेरी आँखे भर आई, मेरी आँखों के कोनो से आंसू बहने लगे।

"हे गोपु! क्या हुआ ?"

"मैम मुझसे एक बहुत बड़ी गलती हो गई,में उससे बहुत प्यार करता हूँ, पर मेरी जिद ने उसकी ज़िन्दगी में बहुत बड़ी प्रोंब्लेम खड़ी कर दी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था,मैं कल पुरी रात सो नहीं पाया,पूरी रात उसके बारे में सोच सोच कर आहें भरता रहा" मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और मेरी जबान लड़खड़ाने लगी, मेरी धड़कन और आंसुओ की गति एक जैसी हो गई थी, हर एक साँस के साथ आंसुओ की धारा बहने लगी, मैंने अपने चेहरे को हाथो से छिपा लिया और वापस फूट फूटकर रोने लगा।

"गोपाल क्या हुआ बेटा ? अपने आप को संभाल, आराम से साँस ले और मुझे खुलके बता क्या हुआ सब ठीक होगा" , मैम ने मेरा हाथ थामते हुए कहा ।

"मैम मुझसे गलती हो गई मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था,वो मुसीबत में फंस गई,उसकी पढाई छूट जाएगी, उसका बाहर आना जाना बंद हो जायेगा,कोई उससे बात नहीं करेगा,उसके सपने टूट जायेंगे,उसके घरवालो ने उसे मारा,वो अकेली पड़ जाएगी,मैम उसकी ज़िन्दगी केवल साँस बनकर रह जाएगी, मैम मुझसे गलती हो गई मैम", कहते हुए,मैं फिर से रो पड़ा।

"अच्छा तो राधिका की बात है, बता मुझे क्या हुआ" , मैम ने अपनी कुर्सी मेरी तरफ खिसकाते हुए कहा।

मैम कल रात को मैंने उसके घर के नंबर पर कॉल कर दिया था, और मेसेज भी कर दिया,उसके घरवालो को उसपे शक था और वो शक यकीं में बदल गया, मैं उसे कॉल कर रहा था कई कॉल किये पर उसने कॉल नहीं उठाया,इसीलिए मैंने गुस्से में आकर उसके घर के नंबर पर कॉल कर दिया मुझे लगा की वो मेरा कॉल देखकर मुझे कॉल करेगी पर उसने नहीं किया तो मैंने मेसेज कर दीया और फिर से कॉल कर दिया तो उसके भाई ने कॉल उठा लिया और मेसेज पढ़ लिया, मैम मुझे बहुत गिरा हुआ फील हो रहा है प्लीज कुछ बताओ आप वरना मैं घुट-घुट कर मर जाऊंगा। मैंने अपने हाथो से आंसू पोंछते हुए कहा ।

पर गोपाल आज नहीं तो कल ये बात पता तो चलनी,आखिर कब तक छुपाते तुम लोग ?

हाँ मैम पर ये सही वक़्त नहीं था घर पर पता चलने का और इस तरह से तो बिलकुल नहीं उसके घरवाले हमारे रिश्ते को जज करेंगे,और मैम समाज की नजर से हमारे रिश्ते की सबसे बड़ी प्रॉब्लम ये है की हमारा रिश्ता इंटरकास्ट है, मैम कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करू वो ? काश ये सब एक सपना हो, काश मैंने थोडा सब्र कर लिया होता,काश मैंने दिल की सुनी होती थोडा धेर्य रख लिया होता दिमाग के तर्कों पर नहीं जाता, मैम मैं क्या करू बताओ आप,मैंने होठ भिचते हुए रोने पर कंट्रोल करते हुए कहा ।

गोपाल शांत हो जा, और वक़्त पर छोड़ दे सब ठीक हो जायेगा वक़्त के साथ, मैम ने एक मंद मुस्कुराहट के साथ कहा।

मैम मैं वक़्त पर कैसे छोड़ दू?,वक़्त के साथ सब ठीक करने में हम दोनों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

तो क्या करे बता अब तु, ? तुने क्या सोचा है ?

मैम मैं बस इतना चाहता हु की उसका सम्मान उसे वापस मिल जाये उसके घरवाले उसका साथ दे वो अकेली ना पड़ जाये बस इतना चाहता हूँ मैं, मैंने अपनी बढी हुई सांसो को नियंत्रित करते हुए कहा।

पर कैसे गोपाल ? मैम ने माथे पर वाई-फाई जैसी लकीरे बनाते हुए कहा।

मैम मैं उसके घर पर जाऊंगा,उसके घरवालो से बात करूँगा,मैंने छोटे बच्चे के जैसे आहे भरते हुए कहा।

अच्छा तो आपने सोचा है की आप उसके घर पर जाओगे और उसके घरवालो से बात करोगे,गोपाल ये कोई फिल्म नहीं है रियल लाइफ है,क्या कहेगा उसके घर जाके हाँ बता ये की मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और मैं प्राइवेट जॉब करता हूँ आपकी बेटी को बहुत खुश रखूंगा आपकी बेटी का हाथ मुझे देदो,गोपाल इतना आसान नहीं है और ना कोई यह फिल्म की तुम अपने हिसाब से सीन डायरेक्ट करो और वो लोग तुम्हारे अनुसार एक्टिंग करे, वो लोग गुस्से में होंगे तेरी बात तक नहीं सुनेंगे, गोपाल तुम हीरो नहीं हो और वो लोग तुमसे गुस्सा है,गोपाल वक़्त पर छोड़ दे और इसे ज़िन्दगी के एक हिस्से के रूप में स्वीकार कर और आगे बढ़ जा अगर किस्मत में लिखा होगा तो वो खुद तेरे पास आ जायेगा। मैम ने मेरा हाथ थामकर कहा ।

मैम वो लोग मेरी बात क्यों नहीं सुनेंगे ? मेरी क्या गलती है? प्यार करता हु उससे, मैं बुरा इन्सान नहीं हूँ, वो लोग मुझसे क्यों नफरत करेंगे?

उनके पास तुझे नफरत करने और बात ना करने की सबसे बड़ी वजह है तुम दूसरी कास्ट के हो और उनकी बेटी से प्यार करते हो, मैम ने अपनी बात ख़तम की और कुछ देर तक मुझे देखते रहे।

मैम प्यार करता हूँ उनकी बेटी से, सुरक्षित है वो मेरे साथ,मेरे साथ वो हमेशा अपने आप को सम्मानित महसुस करेगी और उनके लिए इससे बढकर क्या चीज हो सकती है ?

है गोपाल,इससे से बढ़कर है उनके लिए समाज और उनकी इज्जत जिसमे उनका मानना है की उनकी इज्जत इसमें है की उनकी बेटी उनके समाज के किसी लड़के से शादी करे,उनका कहना माने,गोपाल ये पेरेंट्स लोग बड़े सिक्योर टाइप के होते है इन लोगो को दुनिया जहाँ से कोई मतलब नहीं होता है इन लोगो को अपने समाज से मतलब होता है इससे बाहर कभी नहीं जाते,इनको मतलब होता है उनकी इज्जत से ये बुरा नहीं है पर समझ नहीं आता की समाज से इनकी इज्जत कैसे होती है रुढ़िवादी गाँव में रहने के कारण ये कभी अपने विचारो से उपर नही उठ पाए गोपाल, उनके लिए इज्जत वो है जिसमे आप समाज के बनाये नियमो का पालन करो उनके कहे रास्तो पर चलो आंखे बंद करके बिना ये देखे की वो सही है या गलत उनके लिए ख़ुशी मायने नहीं रखती है, वो खुशियों के लिए अपने समाज से अड़जसमेंट कभी नहीं करेंगे,उनका कहना है अड़जसमेंट में खुशिया ढूड लो,वो लोग अपनों का बलिदान कर देंगे अपनी खुशियों का बलिदान कर देंगे पर इस द्रढ़ समाज के सामने अपनी नजर नहीं झुकने देंगे उनके लिए उनका समाज ही उनकी बेटियों को सुरक्षित रख सकता है वो अपनी बेटी की शादी दूसरी कास्ट में कभी नहीं करवाएंगे क्यूंकि उनकी नजर पर पट्टी बंधी हुई है की उनकी इज्जत समाज से है, गोपाल ये समाजवादी और रुढ़िवादी लोग है सदियों से ये विचारधारा उनके मस्तिष्क में भरी गई है गोपाल माय डिअर ध्यान से समझो और सोचो ये कोई फिल्म नहीं है वो लोग कभी नहीं मानेंगे ना ही तुम्हारी बात समझेंगे और जरा सोचो तुम्हारा उसके घर जाना और इस तरह बात करना उसके लिए और प्रॉब्लम खड़ी ना कर दे, मैम ने एक लम्बी साँस ली और अपनी बात ख़तम की ।

मैम आपकी बात सही है,पर मैं ये दर्द सेहन नहीं कर पा रहा हूँ एक बार उसकी जुदाई का दर्द सेहन हो जाये पर ये दर्द सेहन नहीं हो रहा है मैम, मैंने अपनी आँखों में दर्द और मायुसिपन जाहिर करते हुए कहा ।

हा गोपाल मैं समझ रही हूँ पर क्या करे बता तु,अगर तुझे लगता है वहा जाने से सब ठीक हो जायेगा,तो ठीक है चलते है वहा, बात करते है,मैम ने अपने होठ भींचते हुए कहा।

मैम सब कुछ ठीक ना हो पर वो अपने आपको अकेला तो फील नहीं करेगी ना उसे अच्छा लगेगा की मैं उसके साथ खड़ा हूँ,इतना कहते हुए मेरी जबान लडखडा गई मेरे अलफ़ाज़ दिल में ही दफ़न हो गये और आंसुओ की धारा बहने लगी।

गोप ! एक बार तु शांत हो जा ठीक है हम उसके घर जायेंगे बात करेंगे तु टेंशन मत ले अभी थोडा इंतज़ार कर ले अभी वह पर हालात अच्छे नहीं होंगे कही हम गये और हालत औउर ज्यादा बिगड़ गये तो इसिलीये कुछ दिन रुक जा हालत ठीक होने दे फिर जाते है और बात करते है, फ़िलहाल तो काफी टाइम हो गया है,चल क्लास का टाइम हो गया है,बच्चे इंतजार कर रहे है अपने आपको दोष देना बंद कर दे सब ठीक होगा और पढ़ाने पर ध्यान दे, मैम ने अपनी बात ख़तम की और कुर्सी पर से उठकर जाने लगे और मूझे आने का इशारा किया ।

मैंने हर लम्हे में उसे याद किया उसे महसुस किया मेरा दिमाग यही सोच रहा था बार-बार की वो किस हालत में होंगी उसने खाना खाया होगा की नही, वो बिस्तर पर सोई होंगी आहे भर रही होगी कोई उसके पास नहीं होगा वो दर्द में बिलख रही होगी रजाई में अपना मुह छिपाए रो रही होगी, मेरा दिल भर आया मेरे सिने में दर्द उठने लगा मेरा साँस लेना दूभर हो गया मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे दिल को निचोड़ के रख दिया हो उसे काट कर हर एक टुकड़े को बिखेर दिया हो और मैं उसे जोड़ने की नाकाम सी कोशिश कर रहा था ।

शाम करीब 7 बजे ।

मेरी बात सुनिए आप प्लीज एक बार अंकल जी प्लीज

तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की बेटे समान माना था तुझे रोज आता था तु घर पर और तुने क्या किया........? चला जा यहाँ से,उन्होंने चिल्लाते हुए कहा ।राधिका के पापा सरकारी कर्मचारी थे और प्राइमरी क्लास के बच्चो को पढ़ाते थे,वो काफी हद तक समाजवादी रुढ़िवादी, और परम्परावादी थे, उनके लिए रास्ते से अलग चलना, समाज का विरोध करना,दुनिया जहाँ की हर बात को लेकर अपनी राय रखना,सब गलत था

अंकल जी सिर्फ एक बार मेरी बात सुनलो फिर चाहे मुझे धक्के मारकर यहाँ से निकाल देना आप प्लीज एक बार मेरी बात सुन लो,मैंने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा।

ठीक है जो भी हो जल्दी बोल और निकल यहाँ से, उन्होंने मेरी तरफ अंगुली करते हुए कहा।

अंकल जी राधिका कहा है, मैं उससे एक बार मिल सकता हूँ ?

बोला ना तुझे अपने काम से मतलब रख तुझे क्या बोलना था वो बोल, भरोसा तोडा है तुने गोपाल जो भी बोलना है जल्दी बोल और निकल यहा से वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

ओके ! मैंने एक लम्बी साँस भरते हुए कहा।

मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था,मुझे राधिका के पापा से कहना था की मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ,मेरे लिए ये बहुत मुश्किल था,राधिका के पापा मुझे गुस्से से घुर रहे थे,मेरा आत्मविश्वास कम हो रहा था,मेरा मन डर रहा था की वो प्यार का नाम सुनकर ही भड़क जायेंगे,उन्होंने अपने जीवन में कभी प्यार शब्द नही कहा होगा अगर मैं उनसे कहूँगा की मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ तो,उन्हें वो प्यार शब्द सुनाई नहीं देगा जबकी उन्हें दिखाई देगा राधिका और गोपाल और हम दोनों की कास्ट,उन्हें दिखाई देगा एक समाज उनका अपना समाज और मेरा समाज, मैंने अपना आप को शांत किया और राधिका के बारे में सोचा मेरे रोंगटे खड़े हो गए मुझमे ऊर्जा का प्रवाह होने लगा,मैंने फिर एक लम्बी साँस ली औए राधिका के पापा की नजरो में देखा और बोलना शुरू किया ।

अंकल जी देखिये,इतना कहते ही मेरा गला और होठ सूखने लगे मैंने अपनने होठो को जीभ से भिगाया और फिर से अपने दिल की धड़कन को काबू किया ।

कुछ बोलेगा भी कब से कह रहे था मेरी बात सुनो मेरी बात सुनो यु ,उन्होंने गुस्सा करते हुए कहा ।

अंकल जी हमारे गलती क्या है हम एक-दुसरे से .......इतना कहकर मैं रुक गया असल में मैं प्यार शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहता था ये शब्द उनको भड़का सकता था इसीलिए मेनन रुक गया और अपने दिमाग पर जोर डाला और दूसरा शब्द ढूंडने लगा।

आगे भी कुछ बोलेगा की साप सुंग गया है तुझे उन्होंने चिल्लाते हुए कहा ।

अंकल जी मैं आपकी बेटी को पसंद करता हूँ और वो भी मुझे पसंद करती है मैं एक साँस में बोल गया ।

क्या बोला तुने उन्होंने अपनी मुट्ठिया भींचते हुए कहा ।

अंकल जी आप हमे गलत मत समझना मैं आपकी बेटी से प्यार करता हूँ और वो भी मुझसे प्यार करती है हमारी क्या गलती है आप बताओ मैं अगर मैं आपकी कास्ट का होता तो आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होती मैं बुरा इन्सान नहीं हूँ ये प्यार आपकी नजर मैं गलत है क्यूंकि मेरे और राधिका हम दोनों के नाम के पीछे सरनेम अलग अलग है इसीलिए,अगर अभी हम दोनों का सरनेम एक होता तो आपको कोई शिकायत नहीं होती आप हमारे रिश्ते को कबुल कर लेते,पर अभी नहीं सिर्फ इसीलिए की हम दोनों के नाम के पीछे लगने वाले शब्द अलग-अलग है,अंकल जी आप हम दोंनो को एक कास्ट की नजर से मत देखिये ककी मेरे नाम के पीछे ये कास्ट है और राधिका के नाम के पीछे ये,आप हमे सिर्फ राधिका और गोपाल की नजर से देखिये,और राधिका मेरे साथ राधिका का जीवन जीती है,उसको कोई फॉर्मेलिटी नहीं करनी पड़ती है,वह मेरे साथ सुरक्षित महसुस करती है,हम साथ लम्हे नही गुजारते हम साथ जीते है,आप हमारे रिश्ते को गलत जज कर रहे हो उसकी सिर्फ एक वजह है आपके पास और वो वजह जिसने आपको कभी कुछ नहीं दिया,जो सिर्फ महज एक पहचान है एक नाम है एक शब्द है,एक वर्गीकरण है, कास्ट बस यही एक वजह है आपके पास हमसे नाराज होने की इस रिश्ते को कबूल नहीं करने की, क्या आपके लिए कास्ट ये एक शब्द आपकी बेटी की खुशियों से बढ़कर है,कास्ट ये वर्गिकरण कि आवश्यकता थी ताकि हमारा समाज व्यवस्थित तरीके से चल सके हमारे पास व्यवस्थित आकडे हो,जाती शब्द समस्या नहीं है अंकल जी समस्या है उसका मतलब निकालना,समस्या ये है की जाति को वर्गीकरण का एक आधार ना मानकर इसके अलग-अलग मतलब निकालना ये है समस्या,जाती को बिच में लाकर हमारे प्यार को जज मत करो,समाज की आड़ में हमारी खुशियों का सौदा मत करो प्लीज, मैं इतना कहते कहते रो पड़ा।

बोल दिया जो बोलना था तुझे वो सुन ना ही हम देवताओ के बिच रहते है ना ही हम फ़िल्मी लोगो के बिच में रहते है हम जहा रहते है उसके अनुसार खुद को रखना जरुरी होता है,अब इससे पहले की मेरे सब्र का बांध टूटे यह से निकल जा तु,वरना भूल जाऊंगा मैं की मैं तुझे जानता भी हूँ,उन्होंने गुस्से से अपनी आँखे लाल कारते हुए मेरी तरफ अंगुली करते हुए कहा।

अंकल जी आप क्यों नहीं समझ रहे है,प्लीज एक बार गहराई से सोचिये प्लीज,और हा आप प्लीज राधिका की पढाई मत छुडवा देना उसके अपने सपने है उसके साथ सख्ती से पेश मत आना प्लीज अंकल जी हमे समझने की कोशिश करो प्लीज अंकल जी ।

अच्छा तो अब तु मुझे बतायेगा की मैं अपनी बेटी के साथ किस तरह से पेश आऊ वो है ना ?तु निकल यहाँ से उन्होंने मुझे बाहर जाने का इशारा करते हुए कहा ।

अंकल जी प्लीज एक बार राधिका से मिलने दीजिये वो कैसी है वो देख लूँ बस और कुछ नहीं प्लीज ।

तु अपनी हद पर कर रहा है चल निकल अब तु यहा से,उन्होंने मेरा कॉलर पकड़ा और मुझे मुझे उठा दिया और मुझे घसीटते हुए दरजे की तरफ ले गये,निकल यहा से तु मेरी सबसे बड़ी गलती रही की तुझे घर के अन्दर आने दिया आइन्दा कभी यहाँ दिखा तो सीधे पुलिस के हवाले कर दूंगा ,वो मुझे घसीटते रहे और मैं राधिका,राधिका ,राधिका चिल्लाता रहा , अंत में मैं दरवाजे के बाहर पड़ा था और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया मैं आंसुओ से भीगा जोर से चिल्लाया राधिका ..........

राधिका के बिना मैं अधुरा था मैं खुद में उलझ गया ना खाने का ख्याल रहता ना काम करने को मन करता सिगरेट पिने कि आदत लग चुकी थी,ये भ्रम हो गया की सिगरेट से मानसिक शांति मिलती यु पर असल मैं ऐसा कुछ नहीं था हर पल उसकी याद और उपर से ये सर्द राते और गाने मेरा जिना दूभर हो गया न राह थी न मंजिल थी बस सुबह से शाम होती थी, मैम ने मझे बहुत समझाया बहुत प्रयास किया उन्होंने पर मैंने बिलकुल प्रयास नहीं किया, मैंने कई बार रोशनी पर कॉल किया क्यूंकि वो सब जानती थी और अक्सर उसके फ़ोन से बात करवाती थी वो,पर पकडे जाने से डर से उसने बात करवाना बंद कर दिया और उसने कहा की अब राधिका उसके घर पर नहीं आती ना ही वो जाती है वहा,हर लम्हे में उसकी कमी खलती और बस सांसे चल रही थी वो भी अथाह दर्द से भरी,अचानक से सब कुछ मन को कटाने को आता,कही मन नहीं लगता,चेहरे पर से भाव कही ओझल हो गये थे,दिल ने धडकना बंद कर दिया था बस शरीर को रक्त की ज़रूरत पुरी करने को वो यन्त्र की भांति चलता था,साँस लेना भूल गया था हर लम्हे में जीता था अभी बस शरीर में ऑक्सीजन कि मांग पुरी करने को हवा अन्दर भरता। कहते है वक़्त के साथ सब ठीक हो जाता है कुछ ठीक नहीं होता है, एक कीमत चुकानी पड़ती है आपको, भारी किमत।

34 दिन बाद

हेलो ! कौन ? मैंने कहा

गोपाल मैं राधिका हूँ,मेरी बात ध्यान से सुनो देखो रोना मत ये रोने का टाइम नहीं है मैं यहाँ आज दीदी के साथ ब्यूटीपार्लर आई हूँ उनको काम है तो और वो पार्लर में है और मैं यहाँ एटीएम में आई हूँ पैसे निकालने को और ये दीदी का फ़ोन है मैं लेके आई हूँ और मैं दीदी को बोल के आई हूँ की फ्रेंड के वहा जाके आउंगी यु तो प्लीज आधा घंटा है मेरे पास मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ तुम जल्दी यहाँ आ जाओ ।

उसने मुझे अपना एड्रेस बताया और कॉल कट कर दिया।

मेरी आँखों ने वही किया जो वो पिछले 34 दिनों से करने की आदि थी बहने का काम पर इस बार इन आंसुओ में कुछ खास बात थी उसकी याद नहीं थी इन आंसुओ में उसकी आवाज थी उसका इंतज़ार था उसका प्यार था इन आंसुओ में, मैंने तुरंत बाइक निकाली और उसके बताये एड्रेस की तरफ चल दिया, मुझे अहसास हुआ जेसे की मुझमे जान आ गई हो, मेरी शरीर के अन्दर जाने वाली है साँस मुझे महसुस होने लगी मेरी खून की गरमाहट मुझे हृदय में महसुस होने लगी,मेरे चेहरे पर मुस्कान व ख़ुशी के भावो ने अपनी जगह बना ली थी

मैं वहा पंहुचा।

मैंने देखा वो काफी बदल चुकी थी वह काफी दुबली हो गई थी,उसके चेहरे पर आँखों के चारो और काले घेरे थे,उसके चेहरे की रोनक कही गुम हो गई थी, मैंने उसे देखा मेरी आँखे बहने लगी बिलकुल वैसे जैसे बदल फट गया हो,मैं तुरंत उसके गले लग गया वो भी रोने लगी,मैंने उसे थाम लिया,उसने मेरी पीठ को जोर से थामा।

गोपाल मुझे माफ़ कर दो उसने आहे भरते हुए कहा ।

हे पागल हो क्या सॉरी क्यों? और ये क्या हालत बना रखी है, मैंने रोते हुए और अपने टूटते लफ्जों को सँभालते हुए कहा ।

मैंने इतने दिन तक कॉल नहीं किया इसीलिए सॉरी डिअर पर हालत बहुत बुरे थे,उसने मुझे अपनी बाहों में और नजदीकी से थामते हुए कहा।

ऐसा मत कहो,गलती मेरी है मुझे उस दिन थोडा धेर्य रखना चाहिए था, आई ऍम सॉरी जान,और मुझे एहसास था तुम्हारे हालात का, मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा ।

अच्छा सुनो अब रोना बंद करो और बैठ जाओ यहाँ उसने मेरे आंसू पोंछते हुए कहा ।

हां मैंने कहा और उसके आंसू पोछे। हम दोनों पास में ही रखी बेंच पर बैठ गए,उसने मेरा हाथ थामा और अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया,और अपने गाल को मेरे कंधे पर सहलाने लगी।

सुनो अब मेरी बात ।

हिम्मत तो देखिये उस लड़के की घर तक आ गया,सब तेरी ही गलती है सुन ले एक बात कान खोल के मैं ये सब बिलकुल बर्दास्त नहीं करूँगा,भूल जा उसे आज के बाद अगर उससे तेरा कोई भी संपर्क रहा तो,तुम दोनों के लिए मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,बेटे के समान माना था उसे कितना अच्छा समझता था उसे मैं और वो इसकी आड़ में ये सब कर रहा था।

पापा उसने कुछ नही किया,बस आपका दिमाग सब कुछ कर रहा है,पापा आप कहते थे की वो कितना अच्छा है यु,अब वो बुरा बन गया,क्यों ? क्योंकि हम बात करते है हम एक दुसरे को पसंद करते है,पापा एक बार आप अपने समाज कास्ट इस सब को साइड में रखकर दिल से सोचिये क्या हम गलत है ? पापा हम एक दुसरे से बहुत प्यार करते है, और पापा वो मुझे बहुत खुश रखेगा पापा, आप सोचिये वो यहाँ क्यों आया ? चाहता तो आगे बढ़ जाता मुझे इसी हाल में छोड़कर पर पापा उसे एहसास है मेरे दर्द का, और पापा प्रॉब्लम हमारे रिश्ते में नहीं है पापा प्रॉब्लम आपके समझने में है, वो अकेला बन्दा है जो मेरे एक आंसू पर पुरी दुनिया से लड़ जायेगा! राधिका ने अपने पापा का हाथ पकड़कर रोते हुए कहा।

बेटा! मुझे एक बात बता तेरी सारी बाते सही है, मान लू मैं पर बेटा हम एक समाज में रहते है,और हमे यही रहना है इनके बिच बेटा हम उनसे नजरे कैसे मिलाये,बेटा थोडा प्रैक्टिकल सोच मान ले तेरी शादी में उससे करवा दू पर तेरे बाद तेरी दो बहने भी है ना बेटा पुरे समाज में सबकी सोच को कैसे बदलना तेरी दोनों बहनों से कौन शादी करेगा क्या पुरे समाज को ये बात समझा सकते है हम बेटा उनके दिमाग में तो यही रहेगा की मैंने अपनी बेटी की शादी एक निम्न स्तर की जाति में करवा दी, तेरी दोनों बहनों से कोई शादी नही करेगा बेटा,और अगर बेटा उनकी शादी हो भी गई तो उन्हें ज़िन्दगी भर ताने सुनने पड़ेंगे,तेरी बड़ी बहिन ने ये किया,बेटा सभी लोगो की सोच एक जैसी नहीं होती न ही आदर्श सोच होती है और बेटा ये ज़िन्दगी है कोई फिल्म नहीं जिसकी स्क्रिप्ट किसी लेखक ने लिखी हो और उसके हर संवाद को अच्छी तरह लिखा गया हो,बेटा हमे पूरा समाज ताना देगा,हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जायेगा,और तेरी माँ बेटा वो तो दिल की मरीज है,उसे तो मैंने अभी तक कुछ नहीं बताया जब उसे पता चलेगा तो क्या होगा वो सेहन कर पायेगी बेटा,वो तो कहती थी मेरी बेटी राधिका कभी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा सिर शर्म से झुके,पापा बिच मैं ही रो पड़े !

राधिका बेटा हम तेरे लिए जो जीवनसाथी चुनेंगे क्या वो गलत होगा,हम तेरे माँ बाप है तेरे लिए बुरा थोड़ी सोचेंगे,बेटा ये तु जो सोच रही है वह संभव नहीं है बेटा अभी जो हो रहा है वो बस एक उम्र का पड़ाव है थोड़े दिन में सब कुछ ठीक हो जायेगा,तुम दोनों अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो जाओगे,अच्छे से रहोगे बेटा थोड़ी तकलीफ होगी दोनों को पर बाद में सब ठीक हो जायेगा,पर बेटा तु जो कह रही है उसे करने में एक बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, मूझे तेरी मम्मी को उस लड़के के परिवार वालो को तेरी बहनों को और ये सिलसिला यही ख़तम नही होगा हमे और तेरी बहनों को इसकी कीमत उम्र भर चुकानी पड़ेगी,बेटा हम एक समाज का हिस्सा है,और उसका हिस्सा बनके रहना है,लोग थूकेंगे हम पर,बेटा हमारी खुशिया तो समाज से है उनके साथ उठना बेठना होता है,उनके साथ ही हमारा वक़्त गुजरता है ,बेटा सोच कैसे रहेंगे हम ज़िन्दगी भर हमे नजरे झुकाकर चलना पड़ेगा और बेटा जब कोई समाजिक कार्यक्रम होगा क्या हम वहा जा पाएंगे,तुम लोग वहा जा पाओगे,ज़िन्दगी भर एक शर्म और झुकी नजरो के साथ जीना पड़ेगा और बेटा वो करता भी क्या है दस हजार की प्राइवेट जॉब,जरा सोच बेटा,उन्होंने रोते-रोते मुझे गले लगा लिया।

बेटा समाज एक व्यवस्था है और समाज में शादी करने से वो व्यवस्था कायम रहती है,, बेटा जो तु चाहती है वो संभव नहीं है हमारी जान चली जाएगी,अब मैं कुछ नहीं कहूँगा आगे तेरी मर्जी तु चाहे तो बेटा भाग जा उसके साथ,हम ये गम बर्दास्त कर लेंगे की भाग गई पर बेटा शादी संभव नहीं है,हम दोनों एक दुसरे के गले लग कर फफक-फफक कर रोये।

पापा,,,,,,,मैं इतना ही कह पाई उनको समझाना संभव नहीं था बस उन्हें गले लगाकर रोते रही

गोपाल बताओ तुम अब मैं क्या करू ?

राधिका ये उम्र का पड़ाव नहीं है हम दोनों ख़तम हो जायेंगे,मैंने उसके गाल सहलाते हुए कहा।

गोपाल क्या करे बताओ हम किस-किससे लड़ेंगे,पापा कभी नहीं मानेंगे, हम दोनों सब कुछ खो देंगे,एक ही उपाय है अब तो गोपाल,राधिका ने रोते हुए कहा।

क्या? मैंने पूछा

हम मर जाते है उसने कहा

पागल हो क्या ? और हा मर भी जाये पर क्या पता मरने के बाद वहा पर भी ऐसा सिस्टम हो कास्ट का तो? मैंने होले से मुस्कुराते हुए कहा।

वो मेरे गले लग गई और रोने लगी,हम दोनों रोने लगे,ये उम्र का पड़ाव,इज्जत,समाज विचार,ताने,परिवार,अपने सब मेरी आँखों के सामने घुमने लगा,राधिका मुझे सिने से लगा जोर जोर से आहे भरकर रो रही थी ।

मुझे जाना होगा टाइम हो गया राधिका ने कहा ।

हाँ! पापा का ख्याल रखना और हाँ उम्र का पड़ाव है देखते कब तक ज़िन्दगी इसी पड़ाव पर ठहरी रहती है। वह जा चुकी थी


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