पूजा पाठ
पूजा पाठ
"कभी पूजा पाठ भी कर लिया करो, दीप जला दिया करो, भगवान को भोग लगा दिया करो, बाल गोपाल को स्नान करा दिया करो" शांति देवी ने अपनी बहू रजनी से कहा।
"कितना समय लगता है ये सब करने में,पर तुझे तो पूजा पाठ से कोई मतलब ही नही" शांति देवी ने थोड़े गुस्से में कहा।
नही माँ मैं तो रोज़ पूजा करती हूँ, पर आप मुझे नहीं देख पाती
शांति देवी के सामने नाश्ते का प्लेट रखते हुए उसने कहा "भोग तो मैं रोज़ सुबह लगाती हूँ।"
अपने 7 महीने के बेटे को गोद में उठाते हुए उसने कहा "बाल गोपाल को तो मैं रोज़ स्नान करवाती हूँ।"
"और रही बात दीप प्रज्वलित करने की तो वो मैं सुबह, दोपहर, शाम, रात करती हूँ" कहते हुए रजनी रसोई की और बढ़ गयी।
शांति देवी चुपचाप अपना नाश्ता करने लगी, उन्हे समझ आ गयी थी की रजनी किस पूजा पाठ की बात कर रही है।