पतंग. कहानी मासूम प्यार कीं
पतंग. कहानी मासूम प्यार कीं
सूरज एक छोटे से गाँव मे रहता है। गाँव मे शहरों जैसा माहौल नहीं होता। यहाँ हर कोई एक दूसरे को अच्छी तरह से जानता और पहचानता है।
सूरज अभी 19 साल का हुआ है। और यही वो उम्र होती जब कुछ अहसास आपके अंदर आने लगते है। सूरज एक गरीब परिवार से है। माँ और पिता जी दोनों काम करते है, ताकि सूरज और उसकी छोटी बहन कीं अच्छी से पढ़ाई लिखाई हो सके।
सूरज के घर के पीछे एक बरांडा है,जैसे कीं गाँव मे घर होते है थोड़े खुले हुऐ। सूरज अक्सर गर्मियों मे छत पर सोया करता है। और आज भी सूरज छत पर सोया है।
लेकिन कुछ शोर कीं वजह से उसकी आँख खुल जाती है। उठकर वो निचे देखता है,और यह पहली बार था,जब उसने देखा है नेहा को। हल्के निले रंग कीं सलवार सूट पहने वो अपनी मम्मी के साथ, सामने वाले शर्मा जी यहाँ आयी है।
वो शर्मा जी कीं भांजी है। उसकी मम्मी ऑटो वाले के पैसो को लेकर बहस कर रही है। सुबह गर्मियों का सूरज है तेज, नेहा बेग लिये खड़ी है। उसकी आँखों पर सूरज कीं रोशनी आ रही है। यह देख कर सूरज, असली सूरज और नेहा के बीच मे आ जाता है।
अचानक से नेहा पर रोशनी पड़ना बंद हो जाती है और इसलिये उसका ध्यान जाता है,सूरज कीं ओर। यह पहली बार था जब सूरज ओर नेहा ने एक दूसरे को देखा, अब उम्र समझो या ओर कुछ लेकिन दोनों को पहली नजर मे एक दूसरे से प्यार हो गया।
फिर सूरज अक्सर नेहा के घर मे टकटकी बाधे देखता रहता था। नेहा के मामा जी के घर के किचन कीं खिड़की रोड कीं ओर खुलती है। इसलिये सूरज अपने घर के बाहर ही डेरा जमाये रखता है। एक दिन सूरज अपने घर कीं छत पर खड़ा हो कर पतंग उड़ा रहा था।
पतंग उड़ाते उड़ाते उसका ध्यान एकदम से गया सामने वाले किचन कीं खिड़की पर ओर उसने देखा कीं नेहा खिड़की से पतंग उड़ाते उसे देख रही है। सूरज अब हिम्मत करके नेहा कीं तरफ मुस्कुरा देता है
ओर जवाब मे वहाँ से भी एक प्यारी सी स्माइल आती है। सूरज कीं खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। नेहा एक दिन सूरज कीं छोटी बहन से बात कर रही होती है हिम्मत करके सूरज भी उससे बात कर ही लेता है।
सूरज को पता चलता है कीं नेहा पतंग उड़ाना सीखना चाहती है। सूरज उसे सिखाने का बोलता है। लेकिन वो मना करती है। क्यों कीं उसकी मम्मी उसे किसी भी लड़के से बात करने भी नहीं देती।
पतंग उड़ाना तो बहुत दूर कीं बात है। सूरज उसे बोलता है कीं वो उसके घर के पीछे बारांदे मे उसे सीखा देगा, साथ ही वहाँ सूरज कीं बहन भी होंगी।
नेहा थोड़ा मनाने पर मान जाती है। आखिर वो भी सूरज के साथ समय बिताना चाहती है। नेहा कीं मम्मी,जब उसकी मामी के साथ, किसी रिश्ते दार से मिलने जाती है। तब नेहा सूरज के बारांदे मे जाती है।
लेकिन उन्हें नहीं पता था कीं अनजाने मे वो बड़ी मुसीबत मे फसने वाले है। पतंग उड़ाते समय नेहा के पैर मे मोच आ जाती है। ओर चल भी नहीं पाती है नेहा वही बैठ जाती है।उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते है।
सूरज उसे दर्द मे ऐसे देख कर उसे गोद मे उठा लेता है, ओर कमरे मे बिस्तर कीं ओर लें जाता है, लेकिन उसी समय उसके घर मे नेहा कीं मम्मी आ जाती है,
ओर सूरज ओर नेहा को ऐसे देख कर उनके गुस्से का कोई ठिकाना नहीं रहता है। वो नेहा को वहाँ से लें जाती है। सूरज को रात भर नींद नहीं आती है। वो सुबह का इंतज़ार करता यह सोच रहा है कीं,
नेहा का पैर कैसा होगा साथ ही कहीं उसकी मम्मी ने नेहा को कुछ कहां या मारा तो नहीं। सुबह होती है ओर सूरज देखता है कीं, नेहा ओर उसकी मम्मी ऑटो मे बैठ कर जा रहें है।सूरज ओर नेहा कीं आँखों मे कुछ बातें होती है, ओर नेहा वहाँ से चली जाती है।
अब सूरज को नेहा का ही इंतज़ार रहता है। उसका दिल कहता है कीं,नेहा फिर आएगी। इंतज़ार मे करीब एक साल बीत जाता है। ओर साल भर के बाद फिर उसे सामने वाले किचन मे नेहा दिखाई देती है।
उसे ख़ुशी होती है लेकिन उसकी खुशी कुछ ही मिनट कीं होती है क्यों कीं इस बार नेहा कीं मांग भरी है ओर उसके साथ उसका पति भी है। उसकी मम्मी ने उसकी शादी करवा दी है।
