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Khushbu Pal

Children Stories Inspirational

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Khushbu Pal

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मानवता की कहानी

मानवता की कहानी

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दिल्ली की खूबसूरती और यहां की भागदौड़ भरी जिंदगी लोगों को दिल्ली की ओर आकर्षित करती है। यह दिल्ली जितनी खूबसूरत है उतनी ही भीतर से कुरूप भी।

बहुमंजिला इमारत जो सरकारी नगर निगम का दफ्तर है, यहां के बाबू समय मिलते ही सड़क पर निकल पड़ते हैं। जहां-तहां नाश्ता पानी कर लेते हैं उन्हें उन वस्तुओं का मूल्य भी नहीं चुकाना होता। वह बाबू है, वह चाहे तो उनका ठेला बंद भी करवा सकते हैं। ऐसे ही रौब वाले बाबू दफ्तर के सामने लगने वाले पानी के ठेले पर रोज पानी पिया करते थे, उनसे पैसे मांगना आफत मोल लेना था।

एक दिन की बात है बड़े बाबू कई सारे कर्मचारियों के साथ सड़क पर निकले, उन्होंने ठेले वाले से पानी मंगा कर खुद पिया और सभी कर्मचारियों को भी पिलाया। पैसे मांगने पर वह अपना रौब दिखाने लगा और परिणाम भुगतने के लिए कहकर कुछ रुपए दिए और चले गए। अगले दिन बाबू ने दल बल के साथ उस ठेले को चालान करके जप्त कर लिया। महिला जो पानी विक्रेता थी, रोती रही अपनी रोजी रोटी, घर-परिवार और बच्चों का वास्ता देखती रही, मगर बाबू को तो अपना बदला लेना था, वह कहा सुनने वाला। ठेला जप्त हो गया।

महिला ने बहुत मशक्कत कर कुछ पैसे जुटाए कुछ उधार लिए और अपने ठेले को चालान/जुर्माना देकर वापस ले आई।

एक समय बाबू अपने परिवार के साथ गाड़ी में निकले थे। लगता है कहीं पिकनिक जाने की तैयारी थी। कुछ सामान लेने बाबू गाड़ी से उतरे, गाड़ी में उसका बेटा AC चलाकर बैठा था तभी अचानक गाड़ी में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी। देखते ही देखते बचाओ-बचाओ की आवाज गूंजने लगी। लोग आग को काबू करने के लिए कोशिश करते हैं किंतु बिना पानी के, आग कहां काबू होने वाला था।

तभी वह महिला जो पानी विक्रेता थी बिना प्रवाह किए कि उसका कुछ नुकसान होगा, उस बच्चे को बचाने के लिए अपने ठेले का सारा पानी गाड़ी पर डाल देती है। कुछ ही देर में आग बुझ जाती है और एक नन्ही सी जान जो गाड़ी में फंसी थी वह बच जाती है।

बाबू वापस लौट कर आते हैं तो उन्हें महिला के द्वारा किए गए त्याग को देखकर पछतावा होता है। वह जाने अनजाने कितना कष्ट लोगों को देता है, आज उस महिला ने देर की होती तो शायद उसका बेटा उसके पास नहीं होता। उसने महिला से माफी मांगी और बच्चे के द्वारा कुछ इनाम भी दिलवाया।

नैतिक शिक्षा

बदले की भावना से किया गया कार्य उचित नहीं होता, सबको मानवता का परिचय देते हुए समाज के लिए कार्य करना चाहिए


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