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Khushbu Pal

Children Stories Inspirational

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मेरे जीवन में रंगों का महत्व

मेरे जीवन में रंगों का महत्व

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रंग क्‍या है


इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है।

रंग वह नहीं है, जो वो दिखता है, बल्कि वह है जो वो त्यागता है। आप जो भी रंग बिखेरते हैं, वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे, वह आपका रंग नहीं होगा। ठीक इसी तरह से जीवन में जो कुछ भी आप देते हैं, वही आपका गुण हो जाता है। अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे कि आप एक आनंदित इंसान हैं।

रंगों का असर


रंगों में तीन रंग सबसे प्रमुख हैं- लाल, हरा और नीला। इस जगत में मौजूद बाकी सारे रंग इन्हीं तीन रंगों से पैदा किए जा सकते हैं।हर रंग का आपके ऊपर एक खास प्रभाव होता है। आपको पता ही होगा कि कुछ लोग रंग-चिकित्सा यानी कलर-थेरेपी भी कर रहे हैं। वे इलाज के लिए अलग-अलग रंगों के पानी की बोतलों का प्रयोग करते हैं, क्योंकि रंगों का आपके ऊपर एक खास किस्म का प्रभाव होता है।

1.लाल रंग

हिंदू धर्म में लाल रंग का प्रयोग प्रत्येक शुभ अवसर पर किया जाता है। इसका प्रयोग पूजा तथा अन्य सभी शुभ कार्यों में होता है। दुर्गा को लाल रंग बेहद प्रिय माना गया है। सम्मान का भाव दर्शाने वाला यह रंग शक्ति और स्फूर्ति प्रदान करने वाला और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। अग्नि के द्योतक लाल रंग को ऊर्जा, गर्मी, उग्रता, जोश, जुनून, उत्साह, महत्वाकांक्षा और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। रोज प्रात: उगते सूरज का रंग लाल होने के अलावा मानव शरीर को जीवन देने वाले रक्त का रंग भी लाल ही होता है। हृदय में शक्ति का संचार करने और लोगों में उत्साह व साहस पैदा करने वाला लाल रंग उल्लास और शुद्धता का प्रतीक है, जिसे प्यार और काम का प्रतीक भी माना जाता है। होली के अवसर पर लाल रंग का प्रयोग प्रेम एवं सौहार्द की भावना को बढ़ाने के साथ-साथ मानसिक बल को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।’

जो रंग सबसे ज्यादा आपका ध्यान अपनी ओर खींचता है वो है लाला रंग, क्योंकि सबसे ज्यादा चमकीला लाल रंग ही है।बहुत सी चीजें जो आपके लिए महत्वपूर्ण होती हैं, वे लाल ही होती हैं। रक्त का रंग लाल होता है।

उगते सूरज का रंग भी लाल होता है। मानवीय चेतना में अधिकतम कंपन लाल रंग ही पैदा करता है। जोश और उल्लास का रंग लाल ही है। आप कैसे भी व्यक्ति हों, लेकिन अगर आप लाल कपड़े पहनकर आते हैं तो लोगों को यही लगेगा कि आप जोश से भरपूर हैं, भले ही आप हकीकत में ऐसे न हों। इस तरह लाल रंग के कपड़े आपको अचानक जोशीला बना देते है।

देवी (चैतन्य का नारी स्वरूप) इसी जोश और उल्लास का प्रतीक हैं। उनकी ऊर्जा में भरपूर कंपन और उल्लास होता है। देवी से संबंधित कुछ खास किस्म की साधना करने के लिए लाल रंग की जरूरत होती है।


2. नीला रंग


नीला रंग सबको समाहित करके चलने का रंग है। आप देखेंगे कि इस जगत में जो कोई भी चीज बेहद विशाल और आपकी समझ से परे है, उसका रंग आमतौर पर नीला है, चाहे वह आकाश हो या समुंदर।

जो कुछ भी आपकी समझ से बड़ा है, वह नीला होगा, क्योंकि नीला रंग सब को शामिल करने का आधार है। आपको पता ही है कि कृष्ण के शरीर का रंग नीला माना जाता है। इस नीलेपन का मतलब जरूरी नहीं है कि उनकी त्वचा का रंग नीला था। हो सकता है, वे श्याम रंग के हों, लेकिन जो लोग जागरूक थे, उन्होंने उनकी ऊर्जा के नीलेपन को देखा और उनका वर्णन नीले वर्ण वाले के तौर पर किया। कृष्ण की प्रकृति के बारे में की गई सभी व्याख्‍याओं में नीला रंग आम है, क्योंकि सभी को साथ लेकर चलना उनका एक ऐसा गुण था, जिससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता। वह कौन थे, वह क्या थे, इस बात को लेकर तमाम विवाद हैं, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि उनका स्वभाव सभी को साथ लेकर चलने वाला था।


3. काला रंग


कोई आपको काली प्रतीत होती है, इसकी वजह यह है कि यह कुछ भी परावर्तित नहीं करती, सब कुछ सोख लेती है।

अगर आप लगातार लंबे समय तक काले रंग के कपड़े पहनते हैं और तरह-तरह की स्थितियों के संपर्क में आते हैं तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा कुछ ऐसे घटने-बढऩे लगेगी कि वह आपके भीतर के सभी भावों को सोख लेगी और आपकी मानसिक हालत को बेहद अस्थिर और असंतुलित कर देगी।

लेकिन अगर आप किसी ऐसी जगह हैं, जहां एक विशेष कंपन और शुभ ऊर्जा है तो आपके पहनने के लिए सबसे अच्छा रंग काला है क्योंकि ऐसी जगह से आप शुभ ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा आत्मसात करना चाहेंगे। शिव को हमेशा काला माना जाता है क्योंकि उनमें खुद को बचाए रखने की भावना नहीं है, इसलिए वह हर चीज को ग्रहण कर लेते हैं, किसी भी चीज का विरोध नहीं करते। यहां तक कि जब उन्हें विष दिया गया तो उसे भी उन्होंने सहजता से पी लिया।


4. पीला रंग


पीले रंग से पवित्रता का अहसास होता है और इसे देवी-देवताओं का प्रिय रंग माना जाता है। हिंदू धर्म में धार्मिक कार्यों में पीले रंग का उपयोग बहुत अच्छा माना गया है। इसीलिए दैवीय कार्यों में इस रंग का बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है और देवी-देवताओं को अधिकांशत: पीले वस्त्र ही पहनाए जाते हैं। मान्यता है कि इस रंग का प्रभाव मानव मस्तिष्क पर पड़ता है और इससे मन अध्यात्म की ओर अग्रसर हो जाता है। मिलन और आत्मीयता के प्रतीक पीले रंग को आरोग्य, शांति एवं ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। यौवन और बुद्धिमता के प्रतीक के रूप में यह रंग स्पष्टवादिता को भी दर्शाता है। खुशी, तत्परता, आशा और ऊर्जा को प्रदर्शित करते पीले रंग से शरीर में स्फूर्ति आती है और इसे रोग दूर करने वाला तथा बेचैनी को खत्म करके मन को शांत करने वाला रंग भी माना गया है। समृद्धि और यश को इंगित करने वाले पीले रंग को देखने से मन में प्रकाश और ज्ञान का आभास होता है। सुनहरा पीला रंग तो आदर्शवादिता और कल्पनाशीलता का सूचक माना गया है


5.सफेद रंग

सफेद यानी श्वेत दरअसल कोई रंग ही नहीं है। कह सकते हैं कि अगर कोई रंग नहीं है तो वह श्वेत है। लेकिन साथ ही श्वेत रंग में सभी रंग होते हैं। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर हैं और जीवन के तमाम दूसरे पहलुओं में भी उलझे हैं, वे अपने आसपास से कुछ बटोरना नहीं चाहते।

वे जीवन में हिस्सा लेना चाहते हैं, लेकिन कुछ भी इकट्ठा करना नहीं चाहते। आप इस दुनिया से निर्लिप्त होकर निकल जाना चाहते हैं। इस काम में श्वेत रंग आपकी मदद करता है, क्योंकि सफेद रंग सब कुछ बाहर की ओर बिखेरता है, कुछ भी पकड़कर नहीं रखता है। ऐसे बन कर रहना अच्छी बात है। इसलिए जब आप आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ते हैं और कुछ खास तरह से जीवन के संपर्क में आते हैं, तो सफेद वस्त्र पहनना सबसे अच्छा होता है। पहनावे के मामले में या आराम के मामले में, आप पाएंगे कि अगर एक बार आप सफेद कपड़े पहनने के आदी हो गए, तो दूसरे रंग के कपड़े पहनने में कहीं न कहीं अंतर आ ही जाएगा।


6. नारंगी रंग

यह रंग एक प्रतीक है। सुबह-सुबह जब सूर्य निकलता है, तो उसकी किरणों का रंग केसरिया होता है या जिसे भगवा, गेरुआ या नारंगी रंग भी कह सकते हैं ।

यही दिखाने के लिए आप गेरुआ रंग पहनते हैं कि आपके जीवन में एक नया सवेरा हो गया है। दूसरी चीज है बाहरी दुनिया। जब आप यह रंग पहनते हैं तो लोग जान जाते हैं कि यह सन्यासी है। ऐसे में कम से कम वे अपना सिगरेट का डिब्बा खोलकर आपके सामने पेश तो नहीं करेंगे। आप से क्या बात करनी है और क्या बात नहीं करनी है, इसे लेकर भी वे थोड़े सावधान रहते हैं, तो इस तरह दुनिया से आपको मदद मिलती है।

एक और बात है और वह यह कि हर चक्र का एक रंग होता है। हमारे शरीर में मौजूद सातों चक्रों का अपना एक अलग रंग है। भगवा या गेरुआ रंग आज्ञा चक्र का रंग है और आज्ञा ज्ञान-प्राप्ति का सूचक है। तो जो लोग आध्यात्मिक पथ पर होते हैं, वे उच्चतम चक्र तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए वे इस रंग को पहनते हैं। साथ ही आपके आभमंडल का जो काला हिस्सा होता है, उसका भी इस रंग से शु़द्धीकरण हो जाता है।


7. बैंगनी रंग

, बैंगनी रंग एक विशेष प्रकार की शंख से निकाली गई एक दुर्लभ और महंगी वस्तु थी। केवल सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ही ऐसा सुख भोग सकते थे। इस प्रकार, बैंगनी रंग प्रतिष्ठा और शक्ति का प्रतीक बन गया। इसके अलावा, बैंगनी नीले और लाल रंग का मिश्रण है।

बैंगनी रंग का अर्थ यह लाल रंग की शांत और भावुक ऊर्जा का प्रतीक है, जो एक अनोखा और मनमोहक रंग बनाता है। इसके अलग-अलग शेड्स भावनाओं और महत्व का एक बड़ा स्पेक्ट्रम पेश करते हैं। उदाहरण के लिए, एक गहरा, समृद्ध बैंगनी रंग सुंदरता और शुद्धता की भावना पैदा करता है, जबकि एक हल्का शेड एक चंचल और शानदार वाइब देता है।

इसके अलावा, बैंगनी रंग अक्सर रहस्य और आध्यात्मिकता की भावना रखता है। कई संस्कृतियों में, बैंगनी रंग को आध्यात्मिकता से जोड़ा जाता है और माना जाता है कि इसका मन पर शांत प्रभाव पड़ता है। यह रचनात्मकता को प्रेरित कर सकता है और आत्म-विकास की भावना को पैदा कर सकता है। यह प्रकृति में भी एक विशेष स्थान रखता है। नाजुक बैंगनी से लेकर राजसी आर्केड तक, बैंगनी फूलों की अक्सर उनकी सुंदरता और आकर्षण के लिए प्रशंसा की जाती है। वे बगीचे और गुलदस्तों में आकर्षण लेकर लाते हैं, अपनी मनमोहक खुशबू और ऊर्जावान रंगों से हमारी इंद्रियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

बैंगनी रंग को वैभव और रचनात्कता से जोड़कर देखा जाता है


 8. हरा रंग


हरे रंगों के वातावरण के बीच काम करने से व्यक्ति की रचनात्मकता में बढ़ोतरी होती है। आप चाहे तो घर की दीवारों पर इन्हें रंग या टेक्सचर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं व पौधों के रूप में भी इस रंग से एनर्जी को अपने घर में प्रवाहित कर सकते हैं। घर में आराम करने, शयन करने और सुकून के पल बिताने के स्थानों पर हरे रंग का इस्तेमाल, आपके पलों को सुखदायी बना देता है।


हरा रंग बीमार व्यक्तियों को भी जल्द ठीक करने में मदद करता है। यह ब्लडप्रेशर को सामान्य रखने के साथ ही मानसिक शांति देता है, जिससे दिमाग संबंधित कई बीमारियों में राहत मिलती है। हरा रंग धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ अन्य कई तरह से भी हमारे जीवन को खुशहाल और सुखमयी तथा संपन्न बनाता है। हरा रंग अधिकतर लोगों को पसंद आता हैं, क्योंकि यह रंग मनुष्य को प्रकृति के करीब ले जाता है। 

हरे रंग का श्रावण मास में विशेष महत्व है, क्योंकि श्रावण मास वर्षा ऋतु का माह है तथा श्रावण में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छाई रहती है। हरा रंग सुहाग और संपन्नता का प्रतीक भी माना जाता है, क्योंकि कई धार्मिक रिति-रिवाजों में हरे रंग के बिना कई शुभ कार्य अधूरे माने जाते हैं।

श्रावण में हरी चूडियां पहनने से होगा जहां भाग्योदय होता है, वहीं यह सुहाग की भी निशानी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण के इस महीने में हरा रंग उपयोग करने और पहनने से भाग्य चमकता है। कई स्थानों पर तो जब बेटी की गोद भराई की रस्म की जाती हैं तो विशेष तौर पर हरे रंग की साड़ी, हरे रंग की चुड़ियां ही भेंट की जाती है। 

जहां प्रकृति का हरा रंग मन मोहने वाला होता है वहीं हरा रंग मन को शांति और शीतलता का एहसास कराता है। यह रंग सुख-शांति और स्फूर्ति देने वाला होता है। जहां हरे रंग का प्रभाव आपके मन और बुद्धि पर अलग-अलग तरह से पड़ता है, वहीं फेंगशुई के अनुसार हरे रंग को बुद्धि का प्रतीक भी माना गया है और इसका सेहत पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। 


हरा रंग सकारात्मक ऊर्जा देने वाला होता है, यह तनाव दूर करके डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है। हरा रंग आंखों को सुकून देता है, प्रकृति का रंग भी हरा होता है और प्रकृति जीवन का संदेश देती है। हरा रंग बीमार व्यक्तियों के लिए जीवनदायी औषधि जैसा काम करता है। फेंगशुई में इसे विकास, स्वास्थ्य और सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है।


9.गुलाबी रंग 


गुलाबी रंग को अक्सर स्त्रीत्व, रोमांस और कोमलता से जोड़ा जाता है। हालाँकि, यह कोमल रंग आध्यात्मिकता में एक गहरा अर्थ भी रखता है। विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं में, गुलाबी रंग को प्रेम, करुणा और आंतरिक शांति का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका दिमाग पर सुखद प्रभाव पड़ता है और यह व्यक्तियों को अपनी भावनाओं और आंतरिक स्व से जुड़ने में मदद कर सकता है। यह भी कहा जाता है कि गुलाबी रंग में उपचारात्मक ऊर्जा होती है, जो किसी के जीवन में सद्भाव और संतुलन को बढ़ावा देती है।


चाहे वह ध्यान के माध्यम से हो, कल्पना के माध्यम से हो, या बस अपने आप को गुलाबी वस्तुओं से घेरने के माध्यम से हो, यह रंग व्यक्तियों को उनके आध्यात्मिक पक्ष में प्रवेश करने और शांति और शांति की भावना प्राप्त करने में मदद कर सकता है।


10. भूरे रंग

क्या आप जानते हैं कि भूरा रंग स्थिरता, सुरक्षा और जमीनीपन से जुड़ा है? भूरा एक ऐसा रंग है जो पृथ्वी और प्रकृति को दर्शाता है और अक्सर व्यवहार, विश्वास और भरोसे से जुड़ा होता है। ज्योतिष में भूरे रंग को एक ऐसा रंग कहा जाता है जो हमारी भावनाओं, व्यवहार और व्यक्तित्व लक्षणों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। भूरा एक ऐसा रंग है जिस पर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता, लेकिन ज्योतिष की दुनिया में इसका महत्वपूर्ण महत्व है।


ज्योतिष में रंगों का विशेष महत्व है और ये विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं और अर्थों से जुड़े हैं। गर्म, प्राकृतिक रंग भूरा कोई तनाव नहीं है। ज्योतिषीय राशि वृषभ, जिस पर केतु ग्रह का शासन है।राहु और केतु का इस रंग से गहरा संबंध है। क्या आप जानते हैं कि, भूरा रंग किसका प्रतीक है भूरे रंग का वृषभ के सांसारिक चरित्र के साथ एक मजबूत संबंध है क्योंकि यह एक ऐसा रंग है जो ताकत, स्थिरता, विश्वसनीयता और व्यावहारिकता, जमीनी और यथार्थवादी होने का प्रतीक है।


इसके अलावा, पृथ्वी तत्व भूरे रंग से करीब से जुड़ा हुआ है, जो बाहर की दुनिया से संबंध को दर्शाता है। यह विश्वसनीयता, देखभाल का कर्तव्य और लगाव को दर्शाता है। भूरा रंग विस्तार, व्यावहारिकता और जीवन पर एक उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण पर ध्यान देने से भी जुड़ा होता है। जो लोग इस रंग की ओर झुकाव रखते हैं वे इसे भरोसेमंद और स्थिर मानते हैं।


हिंदी में भूरा रंग ज्योतिष  के अनुसार सुरक्षा और स्थिरता लाने वाला माना जाता है। यह एक जमीनी ताकत प्रदान करता है जो लोगों को जमीन से जुड़ा रखता है और उसके संपर्क में रखता है। इसके अतिरिक्त, मिट्टी से इसके संबंध और इसके पोषण गुणों पर प्रकाश डालते हुए, भूरे रंग को उर्वरता, समृद्धि और सफलता से भी जोड़ा जाता है।


इसी तरह, भूरा एक भाग्यशाली रंग है और भूरे रंग को देखभाल करने वाले रंग के रूप में देखा जाता है, जो सहवास, गर्मी और आराम की भावना को दर्शाता है। यह सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है, साथ ही वातावरण में सद्भाव और शांति पैदा करता है। एक आरामदायक और स्वागत योग्य माहौल बनाने के लिए, घर के इंटीरियर डिजाइन में अक्सर भूरे रंग का उपयोग किया जाता है।



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