न्याय
न्याय
एक बार लोमड़ी और भेड़िए में किसी बात को लेकर भयंकर लड़ाई हो गई। लड़ाई अत्यधिक बढ़ जाने के कारण दोनों ने निर्णय लिया कि वे न्याय के लिए न्यायालय में जाएंगे।
दोनों ने न्यायालय पहुंचकर बंदर न्यायाधीश के सामने अपना-अपना पक्ष रखा। कुछ देर तक उन दोनों की बातें सुनने के बाद न्यायाधीश बोला, “हर कोई जानता है कि लोमड़ी स्वार्थी एवं चालाक होती है।
उसे कभी बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। इसलिए भेड़िए पर झूठा आरोप लगाने के लिए लोमड़ी को सजा अवश्य मिलेगी।” यह सुनकर भेड़िया अत्यधिक प्रसन्न हुआ।
लेकिन बंदर न्यायाधीश ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “परन्तु भेड़िए भी लोमड़ी के मुकाबले कम निर्दयी नहीं होते हैं। वे कभी भी किसी की चाल में नहीं फँसते।
मुझे पूरा विश्वास है कि भेड़िया भी झूठ बोल रहा है। इसलिए उसे भी वही सजा मिलेगी, जो लोमड़ी को मिलती है।” इस प्रकार लोमड़ी एवं भेड़िए दोनों को अपनी कुख्याति के कारण सजा भुगतनी पड़ी।
