नेकी की दावत
नेकी की दावत
एक बहुत प्यारा गाँव था।उस गाँव में सोनू नाम का एक बालक रहता था जो प्रतिदिन समय से स्कूल जाता था।एक दिन सोनू स्कूल जा रहा था रास्ते में उसे मित्र मोनू मिला। सोनू ने अपने मित्र मोनू से पूछा क्या हुआ तुम्हे स्कूल आज भी नही जाना है।कल सभी शिक्षक पूछ रहे थे कि आखिर मोनू स्कूल क्यो नही आता है।
"बताओ मित्र तुम स्कूल क्यो नही चल रहे हो?"
मोनू ने सोनू से कहा "भाई सोनू आज मे मेला जा रहा हूँ कल से स्कूल जाऊगा। मेरी मानो तो तुम भी स्कूल कल जाना।देखो मैंने उस पेड़ के पास अपना बैग छुपा दिया है तुम भी उस पेड़ के पास अपना बैग छुपा दो और दोनों लोग मेला चलते हैं ।कोई जान नही पायेगा स्कूल की छुट्टी के समय हम दोनों वापस आकर बैग लेकर घर चले जाएंगे ।अम्मी भी जान नही पायेगी।तुम तो मुझे अपना दोस्त कहते हो सोनू भाई तो क्या आज तुम मेरी बात नही मानोगे ।रोज तो तुम स्कूल जाते हो आज नही जाओ।"
सोनू ने बहुत प्यार से मोनू से कहा "मित्र कहता हूँ तुम्हें सच है इसलिए मेरा फर्ज है तुम्हें सही रास्ता दिखाऊँ क्योकि सच्चा मित्र वो होता है जो सही रस्ता दिखाये ना कि गुमराह करे। माना कि बैग छुपाने से कोई नही देखेगा पर ईश्वर तो देख रहे है जो हर जगह मौजूद हैं।मेला तो हम दोनो छुट्टी के बाद भी अम्मी पापा से पूछ कर जा सकते है।ये जो समय है स्कूल जाने के लिये।पढ़ने के लिये है।सपने पूरे करने के लिए है। तुम ही तो कहते थे मोनू बड़ा होकर डाक्टर बनूँगा अम्मी की तबियत ठीक नहीं रहती है मै खुद पढ़ लिखकर बड़ा होकर डाक्टर बनूँगा और अम्मी का ईलाज कर ठीक कर दूंगा ।क्या तुम भूल गये मोनू अपनी कही हुई बात।
इस तरह रोज रोज नये नये बहाने बनाकर स्कूल ना जाकर बिन पढ़ाई किये कैसें बनोगे डाक्टर ?चलो स्कूल चलो इससे पहले कि दैर हो जाये समय बहुत कीमती है।"
"तुम ठीक कह रहे हो मोनू भाई मुझें आपकी बात समझ आ गयी है तुम मेरे अच्छे मित्र हो तुमने मुझे नेकी की दावत दी है।मित्र वही सच्चा है जो सच्ची राह दिखाये।
ये देखो में बैग ले आया पेड़ के पास से अब चलो स्कूल।"
