ममता
ममता
श्याम जोर जोर से रो रहा था। गिलास का दूध भरा हुआ चाहिए था उसे। 5 साल की गुड़िया ने स्कूल जाने के लिए अपना बैग उठाया ही था कि मां ने टोक दिया "बेटा तू तो पीती जा।"
बड़ी मनौतियो के बाद में थी गुड़िय । उसको दूध इतना पसंद था कि 2 साल की उम्र तक उसने अन्न छुआ ही नहीं। उसकी दादी लाड से उसे बिल्ली कहा करती थी, लाडली गुड़िया के लिए दादी ने अपने सोने की चूड़ी बेचकर गाय खरीदी ताकि पोती को गाय का शुद्ध दूध मिल सके. अब गुड़िया का 2 साल बाद छोटा भाई श्याम भी है। गाय ने दूध देना कम कर दिया था।
कुछ समय तो दोनों को एक ही गिलास भरकर दूध मिल जाता था। गुड़िया ने गिलास की तरफ देखा फिर रोते हुए छोटे भाई को देखा। दूध की मात्रा आधा गिलास कर दी गई थी। उसने अपने गिलास का दूध श्याम के गिलास में डाल दिया ।"अब मुझे दूध अच्छा नहीं लगता माँ इसे श्याम को दे दो" कहते हुए अपना बैग उठा स्कूल की ओर चल दी ।
"देखो मम्मा कितनी ममता है इसमें, कैसे अपने हिस्से का दूध शाम को दे दिया आपकी बिल्ली ने।"
"बहू जब छोरियां अपनी मां के पेट में रहती है ना कुदरत तभी उनके मन में ममता के बीज बो देती है" गुड़िया की दादी ने जवाब दिया।
