नारी के बदलते रूप
नारी के बदलते रूप
एक परिवार है जिसमें सभी लोग एक साथ रहते हैं। कूल मिलाकर एक संयुक्त परिवार है। उस परिवार की एक औरत गर्भवती है । सब खुश है । नया मेहमान आने वाला है।
लड़का होगा सब इसी बात पर खुश हैं । जब महिला हॉस्पिटल ले जाया गया । उस महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया ।परिवार वालों के मुंह लटक गए । और वे बोले "लो सुन लो एक और बच्ची को जन्म दिया।इसके तो कर्म फूटे हुए हैं इसके नसीब में लड़का का है।" वह बच्ची कोई और नहीं मैं खुद थी । मै अपनी कहानी बता रही हू । मै एक बेटी के रूप में पैदा हुई तो परिवार में खुशी नहीं हुई। क क्योंकि आज भी नारी मैं भेदभाव किया जाता है ।
धीरे धीरे मैं बड़ी हुई तो मेरी घर में शादी की बात चलने लगीI और एक दिन में शादी हो गई ।अब मैं बेटी एक पत्नी के रूप में हो गई। मेरी पत्नी होने के नाते घर की सारी जिम्मेदारियों को संभाला और अपने सास-ससुर का भी ध्यान रखा।कुछ दिनों के बाद मेरी एक बेटी हुई और अब मैं एक माह बन गई।अब मैं अपनी बेटी की देखभाल करती हूं और उसे पढ़ा लिखा नहीं कहा सपना देखती हूं। मुझे समझ में आया कि मैं किस तरह से एक बेटी से पत्नी और पत्नी से मां बन गई यही दुनिया की रीत है |यह रीत आगे भी ऐसे ही चलती जाएगी!
