मासूम
मासूम
सीमा आज सुबह ही, अपने भांजे के पाचवे बर्थडे पार्टी में शामिल होने के लिए लंबा सफर तय करके मायके पहुंची थी, रिक्शे से उतरकर जैसे ही घर की दहलीज पर कदम रखा ही था, कि बड़े भाई कि नजर उस पर पडी और वह बोल पडा ,"अरे कैसे आना हुआ " सीमा ने कहा, "कुछ काम हैं, इसी वज़ह से आयी हूं ", माँ ने भी किचन से बाहर निकलकर आश्चर्य से पूछ ही लिया की फोन भी नहीं किया....भाई और माँ की बातों से सीमा को तो हल्का सा अंदेशा हो ही गया, की कुछ तो मसला है, तभी तो कल कि बर्थ डे पार्टी के बारे मे इन लोगों को कुछ पता ही नहीं हैं l
सीमा थोडी देर शांत हो गई, और अपने छोटे भाई सुमित को फोन लगाया और कहा "मैं घर पहुंच गई " भाई ने एक ही झटके में कहा, " मैं बस घर पहुंच रहा हूं, माँ ने कुछ बताया क्या?, सीमा ने कहा ,"नहीं "l वह भाप गयी , और माँ को सच कह डाला की वह सौरभ (सुमित का बेटा) के बर्थ डे के लिए आयी हुई है, और सुमित ने उसे इनवाईट किया, इसी दौरान माँ ने बताया की सुमित और सुधा में बहुत ही ज्यादा कलह हुआ बर्थ डे पार्टी को लेकरl मिया बीबी के आपसी मतभेद के कारण पूरा प्रोग्राम ही कॅन्सल हो गया l
सुमित और सुधा कि शादी को नव वर्ष हो गये, लेकिन दोनों कि शादी -शुदा जिंदगी खुशहाल नहीं थी, आये दिन दोनों में कलह होते रहते हैं lसीमा सोचने लगी, क्या कमी हैं इन्हें , सब कुछ हैं पैसा, गाडी, बंगला, दो बहुत प्यारे से बच्चे हैं, बडी बेटी सौम्या और छोटा बेटा सौरभ है l
बेटे कि पाचवी वर्षगाँठ को लेकर कितने अरमान थे सुमित के, बड़ी बहन को फोन करते हुए कहा था," दीदी दो साल से कोविड जैसी महामारी के चलते बेटे का बर्थडे मना नही सका, सोचा इस साल पाच बरस का होने जा रहा है, तो बड़े ही धूमधाम मनाएंगे, और तुम्हें आना ही हैं", वह भला भाई की बात कैसे टाल सकती, हर एक दुःख सुख में भाई उसका साथ देता, उसे तो आना ही था l
बहन का फोन आते साथ ही सुमित घर के लिये निकल पडा, जैसे ही घर में कदम रखा, उसे उसकी बहन दिखाई दी, उसे देखते ही वह बहुत भावुक हो गया, बहन से कहने लगा," नहीं रहना मुझे उसके साथ, आए दिन तमाशा खडा करती हैं, सुकून से जीने भी नहीं देती ", बहन अपने छोटे भाई के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही, बहुत ही बैचेनी और उदासी से भरा चेहरा, आँखों में आँसू नहीं थे, किन्तु गालों पर आंसुओ के सुखने के जो निशान थे वह साफ दिखाई दे रहे थे l
आखिरकार कल का वह दिन आज मे बदल ही गया, जिसका सबसे ज्यादा सौरभ को इंतजार था, वह बहुत ही खुश था, इधर-उधर भाग रहा, सभी उसे शुभकामनायें दे रहे थे l सुमित ने उसके लिये दो ड्रेस खरीदे थे , सोचा था एक सुबह और एक श्याम को पहनेगा l वैसा ही हुआ, सूट पहनकर बहुत ही प्यारा लग रहा था, मासूमियत उसके चेहरे से साफ झलक रही थीं, बच्चे तो सभी को प्यारे होते हैं, खासकर माँ-बाप दोनों के l
श्याम को सौरभ ने कुर्ता पायजमा पहना, सुमित ने केक का ऑर्डर दिया, सभी को कहा चलो केक कट करते हैं, सौरभ के पैर खुशी के मारे जमीन पर टिक नहीं रहे थे, वह बार -बार पापा से कह रहा था, "पापा मेरे दोस्तों को बुलाकर लाऊ, पापा ने कहा, " हा बेटा जा "
उछल-उछलकर दोस्तों को बुलाने गया, पांच-छह दोस्त, माँ-पापा, दादी, बड़े पापा, दीदी और बुआ इतने ही लोगों ने मिलकर उसका बर्थडे मनाया, न ही बलुन्स लगाये थे, न ही बर्थडे वाला बैनर, केक कट करके उसने सभी बड़ो का आशीर्वाद लिया, बुआ का मन भर आया अपने भांजे के लिये, उसे गले लगाकर प्यार किया, और सोचने लगी करोड़ों संपति का वारिस और उसका बर्थडे इस तरह से!उस मासूम का क्या कसूर? वह तो बस खुश था, अपने दोस्तों के साथ, उसे क्या पता की माँ-बाप के इगो और झगडे के कारण उसका बर्थडे धूमधाम से नहीं मनाया जा रहा, उस मासूम को तो बस केक कट करने कि खुशी से ज्यादा और कुछ भी नहीं चाहिये था l बर्थडे तो कई आयेंगे, माँ-बाप में भी सुलह हो जायेगी, लेकिन उसका पाचवा बर्थडे दुबारा से नहीं आयेगा l