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Nitu Kumari

Children Stories Inspirational

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Nitu Kumari

Children Stories Inspirational

माँ और बच्चे

माँ और बच्चे

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सारा शहर सन्नाटा था, तेजी से फैल रहे कोरोना महामारी को कंट्रोल करने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लगा था, मजदूर और शहर से अन्य लोग पलायन करने लगे थे, लोग पैदल ही सफर को तय कर रहे थे,

अप्रैल 2020 बहुत तेज धूप, दिल्ली के एक गली से कुछ लोग अपने घर को जा रहे है, ये सभी लोग मजदूर है जो अपने गांव को छोड़ शहर में अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करने आए है, उसमें चार पांच पुरुष सभी 30 या 35 के बीच में रहे होंगे, और तीन महिलाएं और चार बच्चे, बच्चे दो बच्चे लगभग छह साल और एक बच्नचा वजात शिशु था एक महिला उसे गोद में लिए हुई थी, और एक बच्चे दो से अढ़ाई साल के रहे होंगे, जो दो साल का बच्चा लग रहा था वो काफी जोर से रो रहा था। उसकी मां की बच्चे नवजात है और दूसरा यही जो रो रहा है उसकी हाथ थामे हुए और सर पे एक झोला रखी है, इस तस्वीर को देख यह कहना बिलकुल सही होगा की एक नारी से बड़ी शक्ति दुनिया में कुछ भी नहीं है, छोटे बच्चे को आंचल से ढकी हुई और दूसरे को चुप रहने के लिए कह रही है, वो बच्चा जो रो रहा है उसे भूख लग रही है वो खूब रो रहा है, सब लोग उसे शांत रहने के लिए कह रहे थे, उसे समझा रहे है कुछ दूर और चलते है आगे कोई दुकान खुला हुआ तो बिस्किट खरीद दूंगी, पर उस दिन आस पास की सारी दुकानें बंद पड़ी है, मां से अपनी बच्चे की हालत देखी नहीं जा रही अगर उसका बस चलता तो अभी जमीं आसमां एक कर देती और अपने बच्चे का भूख मिटाती लेकिन अभी मां बहुत मजबूरी की हालत में थी, उससे रहा नहीं गया, वो सभी को रुकने के लिए कहती है, और सामने एक घर का घंटी बजाती है, बहुत देर तक दरवाजे पे खड़ी रहने के बाद एक आधी उम्र की महिला निकलती है उस महिला का नाम पूनम है, पुनम उसे देखते ही पहले उसे डांटती है _पता नहीं है अभी महामारी फैल चुका है और तुम लोग बिना खुद को सैनेटाइज किए कहीं भी आ जा रहे हो, बीमारी इधर किसी को लग गई तो, और वो अपने गेट को सैनेटाइज करती है, पूनम के बात करने का तरीका देख वो बेबस मां बिना कुछ बोले ही अपने बच्चे का हाथ पकड़ लौटने लगी, एक को तो आंचल में छुपा अपने सीने से लगा खून से सींच रही थी, पर इसे तो रोटी की भूख लगी है उसे वो कैसे शांत कराती, और एक वो बच्चा है रोते ही जा रहा है, बच्चे को रोते देख पूनम ने उसे पीछे से आवाज लगाई और उससे पूछने लगी काम क्या था वो तो बताते जाओ, पूनम से वह कहती है कुछ नहीं दीदी पानी... गर्मी बहुत है और हमलोग गांव जा रहे है, पानी गर्म हो गया है तो हमें ठंडा पानी लेना था, तभी बच्चे रोते हुए बोल रहा था भूख लगी है, भूख लगी है बच्चे को देख पूनम उस महिला से कहती है बीमारी तेजी से फैल रही है अपने परिवार की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है इसलिए मेरी बातों से शायद मैं तुम्हें बुरी लगी हूं पर यकीन करो मैं एक अच्छी मां हूं और इतनी बुरी भी नहीं की एक बच्चे का भूख न मिटा सकूं, उस बच्चे की तरफ प्यार भरी निगाहों से देखती है और कहती है, रुको मैं अभी आई और पूनम अंदर से एक डिसपोजल डब्बा में रोटी और बिस्किट का एक डब्बा लाकर उस बच्चे को देती है, और दूसरे हाथों में एक बॉटल पानी जो की एक दम ठंडा है, बच्चे बिस्किट देख खुश हो जाता है, वो महिला पुनम को देख मन ही मन सोचने लगी की हर औरत में इंसानियत हो या न हो पर हर औरत में एक अच्छी मां जरूर होती है।। 


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