लम्हें जिंदगी के
लम्हें जिंदगी के
मां बनने का सफर कितना प्यारा होता है, यह तो मां बनने के बाद पता चलता है। सखियों मैं आज अपनी पहेली डिलीवरी के बारे में लिखने जा रही हूं।
वो फरवरी की ठंड और ओशो का पड़ना और अंधेरी रात हां जी अंधेरी रात।
और उसी में शुरू हो गया मेरा लेबर पेन, एक सरसराहट सर दर्द जो कमर से लेकर पेट और पैरों तक जा रहा था, और उस दर्द से मैं तड़प जा रही थी। फिर भी वह दर्द मुझे बहुत अच्छा लग रहा था क्योंकि उस दर्द के बाद एक मां बनने का सुखद सौभाग्य जो मिलना था।
लगातार तीन दिन दर्द के बाद आखिरकार वह दिन आ ही गया जिस दिन मुझे मां बनने का सौभाग्य मिला।
मैं मेरे पति और मेरी सास सब लोग भगवान के आगे मिन्नतें कर रहे थे जल्दी से मैं दर्द से छुटकारा पाऊं प्यारा सा बच्चा गोद में आ जाए,
और मैं मन ही मन भगवान से विनती कर रही थी की हे भगवान मुझे पहली संतान बेटी ही देना।
कुछ देर बाद मुझे ओ टी में ले जाया गया, और वह समय भी आ गया जब भगवान ने मेरी इच्छा पूरी कर दी। पूरे 1 घंटे के बाद मुझे नॉर्मल डिलीवरी से एक प्यारी सी सुंदर सी बेटी हुई।
जैसे ही उसको मेरे पेट पर लिटाया गया, मैंने सारा दर्द भूल कर उसे तुरंत सीने से लगा लिया।
मेरी बिटिया बहुत ही सुंदर थी बिल्कुल अपने पापा पर गई थी पर गोरी मेरी तरह थी।
यह देखकर मैं इतनी खुश हुई कि मैं बता नहीं सकती।
मेरी सास और पति भी बहुत खुश थे, तुरंत हॉस्पिटल में हूं शहनाई बजावाने लगे, और पूरी हॉस्पिटल को गुब्बारों और फूलों से सजा दिए, पूरे स्टाफ में मिठाइयां बांटी गई। डॉक्टर और नर्स भी हैरान थे कि, कोई बेटी होने पर भी इतनी खुशी मनाता है!!
यह कहानी थी मेरे पहली बार मां बनने की दोस्तों आप लोगों को कैसी लगी मेरी कहानी जल्द ही अपनी बेटी से जुड़ी दूसरी यादें शेयर करूंगी।
