कुकू से लगाव
कुकू से लगाव
शीतल के घर हंमेशा एक कुतिया आया करती थी, उसको सभी कुत्ते से बहुत ही नफरत थी। हररोज जब कुतिया आती तो उसे मारकर भगा देती थी। एक दिन वो कुतिया लँगडाती हूई वहा आई, शीतलने देखा तो उस कुतिया की आगे वाली टांग तुटी हुई थी और वहा से खून बहा जा रहा था, तो शीतलने तुरंत ही उस घाव को पानी से साफ कर दिया और उसने देखा की कुतिया को बहुत ही ऊँडा घाव फिर उसने तुरंत दाक्तर को फोन किया और ड्रेसिंग करने के लिए मेडीकल किट मंगवाई और मम्मी से कहने लगी "मम्मी इस कुतिया का टांग जब तक ठीक नहीं होगा तब तक इसके लिए मैं रोटीयाँ खिलाऊँगी।"
मम्मी उससे कहने लगी "बेटा मालूम है तुम्हें की ये कुतिया तो प्रेगनन्ट है! इसको रोटी नहीं बल्कि हलवा या फिर लडडू खिलाने चाहिए " उसके बाद शीतलने उस कुतिया की पाटापींडी करके उसके लिए हलवा बना दिया और उसके रहने के लिए अच्छी जगह बना दी। शीतलने उस कुतिया का नाम रख दिया "कुकू" फिर तो वो हर दिन कुतिया के लिए हलवा, सुखडी, लडडू ये सब बनाने लगी। शीतल जब भी वो कुकू करके आवाज लगाती तो वो कुतिया कही भी हो भाग कर शीतल के पास आकर खेलने लग जाती।
कुछ दिनों बाद कुतियाने छह -सात पिल्लो को वहा पर ही जन्म दिया। तब शीतल हलवा, दूध वही उस कुतिया के पास ही रखने लगी। एक रात जब बारिश हूई तो रातको शीतलने कुतिया और पिल्ले भीगे नहीं उसके लिए अच्छी सुविधा करके उसको ढक दिया। एसे ही शीतल को उस कुतिया से और पिल्लो से अच्छा लगाव हो गया, जो शीतल को बिलकुल भी पसंद नहीं था। ऐसे ही ऐसे शीतल का उन सभी पिल्ले और वो कुतिया के साथ अच्छा मगर अनकहा रिश्ता जुड़ गया।
