Sunoti Haldar

Others

3  

Sunoti Haldar

Others

करुणा का प्रहार

करुणा का प्रहार

2 mins
313


अब्दुल के पास एक बकरी थी, उस बकरी का एक छोटा सा बच्चा था। अब्दुल दोनों को प्यार करता उनके लिए खेत से नरम और मुलायम घास लाता।

दोनों बकरियां घास को खाकर खुश रहती थी।

अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।

अब्दुल चौथी कक्षा में पढ़ता था।

एक दिन जब वह स्कूल गया हुआ था।

उसके अम्मी – अब्बू ने बकरी के बच्चे का सौदा सलीम से कर दिया।


सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

बकरी जोर – जोर से चिल्लाने लगी,

उसकी आंखों से आंसुओं की धारा बह रही थी। काफी प्रयत्न कर रही थी, किंतु वह रस्सी से बंधी हुई थी।

सलीम बच्चे को लेकर काफी दूर निकल गया।

बच्चा भी जोर जोर से चिल्ला रहा था। वह अपनी मां को पुकार रहा था। मां की करुणा आंसुओं में बह रही थी, किंतु बेबस थी।

बकरी ने अंतिम समय सोचा, अगर अभी प्रयत्न नहीं किया तो वह अपने बच्चे से कभी नहीं मिल पाएगी। ऐसा सोचते हुए एक बार जोरदार प्रयास किया। रस्सी का फंदा बकरी के गले से टूट गया। वह बकरी जान – प्राण लेकर सलीम की ओर भागी।

अपने बच्चे को देखकर बकरी ने सलीम पर जोरदार प्रहार किया। काफी समय सलीम को मशक्कत करते हो गई, किंतु बकरी के प्रहार को रोक नहीं पाया। एकाएक अनेकों प्रहार बकरी करती रही।

अंत में सलीम हार मान गया और बकरी के बच्चे को वहीं छोड़कर। अब्दुल के अम्मी – अब्बू से अपने पैसे लेकर वापस लौट आया।


अब्दुल जब वापस लौट कर आया उसे पड़ोसियों ने पूरी घटना बता दी। जिसके बाद वह अपने मां-बाप से गुस्सा हो गया। मां बाप ने काफी समझाया किंतु उसने किसी की एक न सुनी। क्योंकि वह बकरी उसके लिए अमूल्य थे जिसे वह बेचना चाह रहे मोरल –मां की करुणा के प्रहार से बड़ी से बड़ी शक्तियां पराजित हो जाती है। मां अपने बच्चे के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा देती है। बकरी ने अपना जीवन दाव पर लगाकर सलीम पर प्रहार किया था।


Rate this content
Log in