ख़्याल-ए-ज़िन्दगी
ख़्याल-ए-ज़िन्दगी
सुनो पागल
कुछ ख़्याल मन में हावी होने लगे है आज कल
इस दुनिया में मेरे चले जाने के बाद क्या होगा..?
मेरे अपने मेरे जाने के कितने दिन बाद तक याद रखेंगे मुझे? क्या मेरे चले जाने के बाद मेरी चीजें भी मेरे साथ ही जला दी जाएगी या निशानी के नाम पे कुछ चीजें रख ली जाएगी ?
क्या कोई सच में रोएगा मेरे जाने के बाद या बस एक समाज को दिखाने के किए अफ़सोस जता कर चले जाएंगे ?
क्या कोई होगा जिसको मेरी कमी सच में खलेगी??
क्या कोई होगा जिसने अभी मुझसे नाराज़गी में मेरा नंबर डिलीट कर दिया हो और मेरे जाने के बाद एक काश का पन्ना अपनी ज़िंदगी में जोड़ पाएगा..?
जो अभी मुझे देखना पसंद नहीं कर रहे क्या बाद में वो भी ये कह सकेंगे लड़का जैसा भी था ठीक था!
शायद ग़ुस्से में किसी ने मेरे दिए हुए सारे तोहफ़े भी फेंक दिए होगे पर जब मैं ना रहूँ तो शायद वो ये सोचेंगे निशानी के तौर पे कुछ एक चीज रख लेनी चाहिए थी।
जो अभी मुझे मारने की बददुआ दे रहे क्या वो मेरे जाने के बाद सच में खुश रह लेंगे..?
शायद मेरे चले जाने के बाद मेरे अपने भी मुझसे डरने लगेंगे और मैं उनको कहीं ना दिखूँ इसके लिए वो पूरी कोशिश करेंगे।
ये जानते हुए भी अब मैं नहीं रहा इस दुनिया में तब क्या कोई मेरी लिखी हुई शायरियां कविताएं कहानियां सच में दुबारा मेरे जाने के बाद पढ़ेगा..?
मैं किसी से कोई गिला शिकवा नहीं रखना चाहता हूँ ना ही किसी से कोई बैर रखना चाहता। जिसने जो किया सब अच्छा किया ये सोच के मैं जाना चाहता हूँ। पर इतना यक़ीन है की मैं जब भी जाऊँगा एक हल्की सी मुस्कान के साथ जाऊँगा।
ना जाने क्यूं मैं जीते जी ये सब सोच रहा हूं आजकल
ख़ैर
एक शायरी तुम्हारे लिए पागल
बरसो बाद कहीं जब पढ़ोगे शायरी मेरी
एक पल के लिए ही सही पर हम तुम्हें याद आएंगे,
मुद्दतों पहले लिखता था एक पागल सिर्फ तुम्हारे लिए
यही सोचकर तुम्हारे आंसू झलक आएंगे...