Yogesh Shukla

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Yogesh Shukla

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प्रेम पत्र

प्रेम पत्र

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एक प्रेम पत्र तुम्हारे लिए पागल......


प्रिय प्रेमिका,

      मेरे साथ ऐसा हमेशा होता है, जब खुशियाँ सिर्फ छूकर चली जाती है और इन खुशियाँ को छूने के बाद जो अनुभूति होती है वो मैं शब्दों में कभी बयाँ नहीं कर पाउँगा। जब हम सिर्फ फोन पर बातें किया करते थे।

     तब मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी तुमसे मिल भी पाउँगा। लेकिन किस्मत में हमारा मिलना मुकर्रर था। आखिरकार मैं तुमसे पहली बार वेलेंटाइन डे पर मिला। तुम्हें देखने के बाद ऐसा लगा, जैसे मेरे सारे सपने जो टूट गए थे मानो फिर से ज़िंदा हो गए हों । जब पहली बार मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा, मैंने उस छुअन के बाद फिर से खुद को ज़िंदा पाया।

     जब पहली बार तुमसे मिला तो ऐसे लगा जैसे मानो कितने समय से हम एक दूसरे को जानते हैं। तुम्हारी सादगी, तुम्हारी शरारतें, तुम्हारा पागलपन ये सारे मेरे पसंदीदा है।

    तुम बहुत जल्दी घुलमिल नहीं पाती। तुम्हें वक़्त लगता है। बस तुमसे शिकायत यही है कि तुम कभी दिल खोल कर कुछ नहीं बोल पाती या फिर बोलना ही नहीं चाहती। जो भी दिल में दबा हुआ है और तुम्हें ना जाने कितने सालो से परेशान करता आ रहा है।

     मैं हमेशा चाहता हूं कि तुम खुश रहो, खुल के जीओ, तुम्हारे सारे सपने पूरे हों। लेकिन तुम कुछ नहीं बताती पर मुझे महसूस होता है और इसलिए मैं तुमसे लड़ता हूं हमेशा।

     दुःखी रहने से दुःख खत्म नहीं होता। वर्षों से जो भी हुआ उसे भूलकर आगे बढ़ने को ही ज़िन्दगी कहते है। अगर मैं कहता हूं कि मैं तुमसे प्यार करता हूं तो भला मैं तुम्हें ऐसे कैसे देख सकता हूं। मैं तो हमेशा जानना चाहूंगा कि तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है। मेरा प्यार तुमको पाना नहीं है खुश देखना है। तुम्हारे जो भी सपने हैं, उसे पूरा होते देखना है।

    मेरा तो बस चले तो दुनिया का सारा दर्द मैं ले लूं। फिर तुम तो मेरा प्यार हो तुम्हें ऐसे कैसे छोड़ सकता हूं? इसलिए मैं तुमसे लड़ता रहता हूं और मैं बुरा बन जाता हूं। मुझे तुम्हारे चेहरे से प्यार नहीं है, ना ही तुम्हारे शरीर से, मुझे तुम्हारी आत्मा से प्यार है। 

    तुमसे खुल कर नहीं बोल पाता हूं कि तुम मेरे लिए कितना मायने रखती हो। एक वक़्त ऐसा भी था ज़िन्दगी में जब अपना हक़ माँगना भी नहीं आता था और इसी चक्कर में बहुत कुछ हाथों से चला गया। अब तुम्हें भी खो दूँ फिर तो लगता है कि मेरा कोई मतलब ही नहीं रहेगा इस दुनिया में रहने का 

    तुम्हारे साथ बीते लम्हे ज़िन्दगी में सबसे खूबसूरत याद की तरह हैं। तुम जब भी मिलती हो मन करता है कि ये वक़्त रुक जाए हमेशा के लिए और तुम्हारा हाथ थामे बस तुम्हें सुनता रहूं, तुमसे खूब लड़ाई करूँ, तुम पर अपना हक़ जताऊं, ख़ुद पर तुम्हारा इख्तियार समझूँ।

   मैंने सुना है प्यार भगवान के प्रति आस्था बढ़ाता है लेकिन मेरे भगवान तो तुम ही हो। तुम्हें झुमके में और लाल सूट मैं देखना आज भी मेरा पसंदीदा दृश्य है। तुम्हारी आँखों ने मुझे फिर से ख्वाब देखने पर मजबूर कर दिया है। कितना अपनापन है इन आँखों में।

   जब भी तुम्हें देखता हूं तो मेरी खोयी हुई ज़िंदादिली कही से झाँकती नज़र आने लगती है। शायद तुम्हें याद नहीं हो जब हम पहली बार मिले थे, तुम्हें सामने से देख मुझे यूँ लगा जैसे मैं सपना देख रहा हूं। क्या तुम वही लड़की हो जिससे मिलने के लिए मैंने इतने ख्वाब बुन लिए थे? मैं इन तमाम पलों को हमेशा के लिए अपनी आँखों में कैद करके रखना चाहता हूं। 

    कुछ लोग कहते हैं कि "भगवान ने कुछ अच्छा सोच रखा है तुम्हारे लिए।" मैं इस पर विश्वास नहीं करता। मेरे पास हमेशा ये पल सदा नहीं रहेंगे, मुझे बस आज को जीना है, इस पल को महसूस करना है। 

    तुम बस यूँ ही हंसती रहो, तुम्हारे हँसते रहने से मेरे शब्द और भी मज़बूत होते हैं। तुम्हारी हंसी ही मेरी कविता, शायरीयों का केंद्र रही है और रहेगी हमेशा!

बाकी तुम्हें पता ही है ........ 


तुम प्यार हो मेरा पगली,

तुम चाँद हो मेरा पगली  

                             तुम्हारा पागल

                   


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