"काम और आराम"
"काम और आराम"
जंगल में ऊंचे पेड़ की डाल पर एक चील बैठी सुस्ता रही थी। तभी कहीं से दौड़ते हुए एक खरगोश वहा आया और थक्कर पेड़ के नीचे रुक गया। उसने गर्दन उठा कर ऊपर देखा तो नजर आराम करती चील पर पड़ी।
कितने मजे में है वह ,कितने आराम में है कितनी सौभाग्यशाली है। कुछ भी तो नहीं करना पड़ रहा है उसे खरगोश सोच में पड़ गया।
उसके मन में विचार आया जब चील कुछ ना करते हुए आराम कर रही है तो ऐसा मैं क्यों नहीं कर सकता। "क्या मैं भी तुम्हारी तरह कुछ न करते हुए आराम से बैठ सकता हूं?"
खरगोश ने चील को आवाज देते हुए पूछा।
"हां क्यों नहीं, तुम्हारा स्वागत है" चील ने उत्तर दिया।
खुश होकर खरगोश उसी पेड़ के नीचे निश्चित बैठ गया। कुछ ही क्षणों में उसे नींद आ गई। अचानक वहां एक लोमड़ी प्रकट हुई। आसान शिकार देखकर उसका मन प्रसन्न हो उठा। उसने खरगोश पर झपट्टा मारा और समय खर्च किए बिना उसका भोजन कर लिया।
