हिन्दू- मुस्लिम
हिन्दू- मुस्लिम
ईश्वर ने दो पुतलों को मिट्टी से बनाया फिर उनमें जान डाल दी। ईश्वर ने दोनो ज़िंदा इंसानों को पृथ्वी पर छोड़ दिया। दोनों घूमते-घूमते एक स्थान पर पहुँचे जहाँ मन्दिर और मस्जिद थे। पहले को मंदिर पसंद आया तो दूसरे को मस्जिद। मन्दिर वाले का नाम हिन्दू और मस्जिद वाले का नाम मुस्लिम पड़ा। हिन्दू अपने भगवान को पूजता तो मुस्लिम अपने अल्लाह को। इसी बात को लेकर दोनों में भेदभाव हो गया। अब हिन्दू और मुस्लिम अलग-अलग रहने लगे।
एक दिन कोई तीसरा इंसान उसी स्थान पर आया। हिन्दू-मुस्लिम की गैर मौजूदगी में पहले उसने मंदिर को तोड़ा फिर मस्जिद को और कहीं छुप गया। जब हिन्दू और मुस्लिम ने अपने ईश्वर के घर को ध्वस्त देखा तो उन्हें बहुत क्रोध आया। उन्होंने बिना यह विचारे कि जिसपर वह शक कर रहे हैं खुद उसके ईश्वर का भी स्थल ध्वस्त हुआ है, वे आपस में ही लड़ने लगें। और उधर इन दोनों की लड़ाई देखकर वह व्यक्ति जिसने मन्दिर और मस्जिद को ध्वस्त किया था, दूर खड़ा बहुत खुश होता है।
खून तो दोनों का बहा मगर जीत किसी की नहीं हुई। आज भी हिन्दू और मुस्लिम आपस में इसी तरह लड़ते-झगड़ते हैं और जीत कोई तीसरा जाता है।
