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Vandana Bhatnagar

Children Stories

3  

Vandana Bhatnagar

Children Stories

ग्लानि

ग्लानि

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विशाल आज देर रात घर वापिस आया तो बहुत खुश था। आते ही उसने अपनी पत्नी उदिता को आलिंगनबद्ध कर लिया और उसे अपना बटुआ पकड़ाते हुए बोला

"लो कर लो अपने मन की पूरी, जो लेना है ले आओ ।इतने दिन से डायमंड रिंग के पीछे पड़ी थीं वह भी आ जाएगी अब।"

उदिता ने पति का बटुआ अपने हाथ में लिया और उसे खोल कर देखा तो उसकी आंखें चौंधिया गईं। दो हज़ार के नोटों की बहुत मोटी गड्डी दिख रही थी ।वो खुश होकर विशाल से बोली



"किसी आॅर्डर का एडवांस मिला है क्या?" तो वो बोला "नहीं, लॉटरी लगी है यह समझ लो।"

उदिता बोली "पहेली तो बुझाओ मत ,ठीक से बताओ।"


विशाल बोला "आज अपने काम से निकलते हुए देर तो मुझे हो ही गई थी इसलिए शॉर्टकट से वापिस आ रहा था। रास्ता बिल्कुल सुनसान था। तभी मुझे किसी आदमी के कराहने की आवाज़ सुनाई पड़ी ।थोड़ा सा आगे बढ़ा तो देखा खून से लथपथ एक आदमी सड़क पर पड़ा था। शायद उसे कोई टक्कर मार गया था। सुनसान जगह थी तो टक्कर मारने वाला भी जल्दी से भाग गया होगा। मैं गाड़ी से उतर कर उसे उठाने ही जा रहा था कि मेरी नज़र उसके पर्स पर पड़ गई जो ज़मीन पर गिरा पड़ा था। बस नोटों से भरा पर्स देखकर मैं सोचने लगा इस आदमी से मेरा कोई लेना देना भी नहीं है इसे बचाकर कोई ईनाम नहीं मिलने वाला है पर अगर इन पैसों से उदिता को रिंग दिला दूंगा तो वह खुश हो जाएगी तो बस उसके पर्स में से पैसे निकाल कर फटाफट आ गया।"


उसकी बात सुनकर उदिता की आंखों से टप टप आंसू गिरने लगे और वह सोचने लगी कि मेरी ज़िद ने विशाल को एक आदमी की जान बचाने से रोक लिया और उसका ईमान भी डिगा दिया।उसे अपने ऊपर बड़ी ग्लानि हुई। वो रोते हुए बोली "मुझे कोई डायमंड रिंग नहीं चाहिए बस अभी उल्टे पैर जाकर उस आदमी को बचा लो अभी ज्यादा देर नहीं हुई है।" उदिता की बात सुनकर विशाल ने तुरंत पुलिस को फोन करके दुर्घटना के बारे में बताया एवं उदिता के साथ उसे बचाने के लिए चल दिया। वो लोग वहां पहुंचे, पुलिस भी पहुंच चुकी थी ।फिर उस आदमी को अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टर ने जितना खर्चा बताया वह सब विशाल ने उसके पैसों से जमा करा दिया। कई घंटे तक वह अस्पताल में ही रहे। उसके घर वाले भी आ गए थे। वो विशाल का बार बार शुक्रिया अदा कर रहे थे।


 अब सभी की निगाहें ऑप्रेशन थिएटर पर ही लगी थीं।जब डॉक्टर ने आकर मरीज़ की जान खतरे से बाहर बताई तो विशाल और उदिता के दिल को बहुत सुकून मिला ।उनकी ग्लानि भी दूर हो गई। फिर वो बचे हुए पैसे उसके घर वालों को देकर अपने घर की ओर चल दिए।


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