Ranjeet Singh

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दूधवाली और उसका सपना

दूधवाली और उसका सपना

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एक दूधवाली थी, जिसने अभी–अभी अपनी गाय का दूध निकाला था और अब उसके पास दो घड़े भरकर ताज़ा मलाईदार दूध था। उसने एक लकड़ी पर दोनों घड़ों को टांग दिया और बाज़ार में दूध बेचने निकल पड़ी। चलते– चलते वह मन ही मन दूध और उससे मिलने वाले पैसों के बारे में विचार करने लगी।

उसने सोचा, ‘इस दूध को बेचने से जो पैसे मिलेंगे, उन पैसों से मैं मुर्गी खरीदूंगी।” मुर्गी अंडे देगी और उन अंडों से मुझे और मुर्गियाँ मिलेंगी । वे सभी मुर्गियाँ अंडे देंगी, और मैं और पैसों के लिए उन्हें बेच सकती हूँ। फिर मैं पहाड़ी पर घर खरीदूंगी और फिर सभी गाँव वाले मुझसे ईर्ष्या करेंगे । वे मुझे अपना मुर्गी का व्यवसाय बेचने के लिए कहेंगे और मैं अपना सर ऐसे उछालकर, उन्हें मना कर दूंगी । ऐसा कहते हुए, पैटी ने अपना सर उछाला और अपने दोनों दूध के घड़े गिरा दिए, सारा दूध जमीन पर गिर गया और पैटी रोने लगी ।


कहानी से मिली सीख - अनिश्चित चीज़ों के आधार पर कोई योजना न बनाएं।


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