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yashwant kothari

Children Stories

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yashwant kothari

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चूहे ,दीमक इल्लियाँ

चूहे ,दीमक इल्लियाँ

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चूहे सरकार को काट रहे हैं,दीमक फाइलें चाट रहीं हैं, जीप पर चढ़ कर इल्लियाँ खेत खा रहीं हैं और किसान आत्म हत्या कर रहें हैं, बाकि जो बचा वो राजधानी में काजू खा रहा हैं.सरकारी दफ्तरों में चूहों का ही राज हैं.अस्पतालों में गणेशजी के वाहन तांडव कर रहें हैं.पूरे प्रजा तंत्र को दीमक लग गयी हैं। सरकारी नीतियों पर ये सब एक साथ हमला क़र रहे हैं,चाहकर भी गरीब आम आदमी,किसान, मजदूर कुछ नहीं कर पा रहा है,जो कुछ कर सकते हैं वे अन्यत्र व्यस्त है.लेकिन मैं सोचता हूँ क्या प्रथ्वी केवल मनुष्य के लिए ही है.क्या मनुष्य के अ लावा प्रथ्वी पर रहने का अधिकार अन्य किसी को नहीं हैं ?    

अन्य सभी जीव जंतुओं, पेड़ पोधों को मार डालने के बाद क्या मनुष्य अकेला जीवित रह पायगा /और यदि रह गया तो कितने दिन ? एक बार डायनासोरस ने पृथ्वी पर कब्ज़ा कर लिया था फिर कुछ दिनों के बाद वे सब भी मर गए, क्या मानव का यहीं हश्र होने वाला है.खेर छोड़िये भी. मानव स्वार्थी है, था और रहेगा।

इस देश में चूहे, दीमक व् इल्लियाँ किस्मत वाले हैं जो फल फूल रहे हैं उन्हें दाना पानी मिल रहा हैं, वे मस्ती के साथ जीवन काट रहे हैं और बेचारा मजदूर किसान गरीब आदमी मर रहा हैं उसके बच्चों का इलाज नहीं हो रहा है, उस को रोटी नहीं मिल रही है क्योंकि सारा अनाज तो चूहे चट कर रहे हैं, उनको राशन कार्ड या आधार कार्ड नहीं बनाना पड़ता हैं।

दीमक को कोई नहीं पूछता की तुम्हारा पहचान पत्र दिखाओ और इल्लियाँ तो शरद ओशी के अनुसार जी प पर खुद ही चढ़ जाती हैं और खेत को चट कर जाती हैं। बाढ़ ही खेत को खा रही हैं बेचारा किसान क्या करे।

चूहे प्रजातंत्र की नींव को पोली कर रहे हैं उपर से आलिशान दिखने वाला यह भवन अंदर से खोख ला हो रहा हैं,फाइलों से कागज ही नहीं योजनायें भी दीमक खा जाती हैं। बड़ा अफसर छोटे से पूछता हैं छोटा अफसर बाबू चपरासी से पूछता हैं मगर किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती.सब मस्त और देश का सूरज अस्त।

सर्कार के किसी महकमे में चले जाईये, आपको चुहे, दीमकें, इल्लियाँ विचरण करती हुयी दिख जायेगी।

ये जानवर कभी दो पांव के तो कभी विदेश से आते हैं.विशेषज्ञों की जमाते हैं जो दिल्ल्ली में बैठ कर कुतरने का का म करती हैं.चारा तक खा जाते हैं.अस्पताल हो या रेल,बसें या हवाई जहाज ये जीव आपको दिख जायेंगे।

ये आपको भी खायेंगे और व्यवस्था को भी खायेंगे.बड़ा अजीब माहोल है। ये चूहे, दीमके इल्लियाँ तक भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए हैं और सरकार कुछ नहीं कर पा रहीं हैं।

ऐसी नाकारा सरकारों का क्या करे जो हड़ताली लोगों के साथ मिठाई खा रही हैं अख़बारों में फोटो छपवा रही हैं। मेडम जी को फुर्सत नहीं है,और दुसरे  कुछ करने लायक नहीं। इन दीमकों चूहों व इल्लियों को भेड़ियों, गिद्धों व असुरों का स्व रक्षण प्राप्त हैं, इनका किसी भी सरकार में कुछ नहीं बिगड़ सकता।

कुछ जीव आपके वोट को खाकर एक ऊँची कुर्सी पर बैठ कर सरकार को ही खा जाते हैं.देश में हर तरफ चूहों, दीमकों, इल्लियों का साम्राज्य हो गया है, कोई कैसे कहाँ तक बचेगा। मेरे अकेला के चिंता करने से क्या होना –जाना है भाई साहब, कामरेड।


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