Meenakshi Kilawat

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बड़ वृक्ष

बड़ वृक्ष

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निसर्ग की रक्षा करना बड़ वृक्ष का अतुलनीय कार्य है। वैसे ही हमको बड़ वृक्ष का ध्यान रखना यह बहुत जरूरी है। हमारे संस्कृति में पूर्वजों ने बड़ वृक्ष को बहुत ही महत्व दिया है। अनेक किवदंतीयाँ, दंतकथा बड़ वृक्ष के बारे में समाज में फैली हुई है। आज महिलाएं बड़ वृक्ष की पूजा करती है। उसके पीछे भी पूर्वजों ने गहरे संस्कारीत बीज बोये है। यह अंधविश्वास नहीं है। क्योंकि आज बड़ वृक्ष की मेहरबानी से सारे जगत में प्राणवायु मिल रहा है। ऐसे प्राण बचाने वाले बड़ वृक्ष की पूजा हम क्यों ना करें ? उस जमाने में सावित्री ने सत्यवान की जान बड़ वृक्ष के नीचे बचाई थी। क्योंकि साँप काटने से सत्यवान की सांसे रुक चुकी थी। वह सांसे उसी वट वृक्ष के नीचे लौट कर आई थी। और एक कारण दूसरा भी है सावित्री की भक्ति प्रेम देखकर जीवंत बड़ वृक्ष कों दया आई थी। इसीलिए सत्यवान की जान बच गई थी। यह बड़ वृक्ष संजीवनी से कम नहीं है। यह पृथ्वी पर साक्षात ईश्वर का रूप है। इसीलिए सभी मानवों को वट वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। वट वृक्ष के कार्य ही इतने महत्तम हैं के जिसका कोई सानी नहीं है। उनके पीछे सब बौने हैं। इसीलिए महिलाएं साल में एक बार बड़ वृक्ष की पूजा अर्चना भक्ति करती है।

अपने देश की जनसंख्या को देखते हुए कई लोग बड़ वृक्ष के नीचे शरण लेते हैं। उन्हें रहने के लिए घर नहीं होता वह आराम से वट वृक्ष के नीचे सारी जिंदगी गुजार देते हैं। साधु सन्यासी बड़ के नीचे बैठकर तपस्या करते रहते हैं। और असंख्य जीव-जंतु भी बड़ वृक्ष के नीचे आराम से जीवन यापन करते हैं ।बड़ वृक्ष इतना विशाल होता है कि जिसमें से सूरज की किरणें भी अंदर नहीं आ सकती, ठंडी ठंडी शीतल छाया में स्वास्थ्यवर्धक निवास कर सकते है। बड़ वृक्ष की जड़े दूर-दूर हजारों किलोमीटर अंदर फैलती है एवं पानी पकड़ कर रखती है। इतिहास में बड़ वृक्ष के बारे में बहुत सी कहानियां सुनी एवं पढ़ी है।यह रोचक कहानियां हर किसी लेखकों ने अलग अलग ढंग से भाव से प्रेम से बनाई है।

 वैसे ही भारत की संस्कृति में पतिव्रता स्त्रियों का खासा महत्व है। कितने भी दुख दर्द में हो अपने पति के आयुष्मान होने के लिए प्रार्थना करती ही रहती है।भारत की संस्कृति यहां पर महिलाओं के मामले में उनकी भावनाएँ नहीं बदल सकती आज भी अनेक स्त्रियां अपने पति प्रेम के ख़ातिर पति के लिए आयुष्य की कामना सदैव करती आर ही है। दूसरी प्रार्थना वह अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी करती रहती है। भारतीय स्त्री का मन बहुत कोमल तथा दयालु ममता का सागर है। वह खुद का दुख सुख नहीं देखती। उसका आंचल हमेशा खाली रहता है। फिर भी वह कभी पति के लिए कभी अपने बच्चों के लिए सदा ही ईश्वर से या तो वट वृक्ष से प्रार्थनाएं करती ही रहती है। हमेशा आँखों में बच्चों के प्रति या पति के प्रति प्यार उमड़ता रहता है। आजकल वट वृक्ष की पूजा करने वाली महिलाओं पर लोगबाग हँसते हैं। उनकी खिल्ली उड़ाते हैं। लेकिन पूर्वजों ने जो मार्ग दिखाएं हैं, वह 100 टक्के फायदेमंद और संस्कारित है। वह हमारे भले के लिए ही है। कुछेक महिलाएं 7 दिनों तक लगातार पानी देतीं है। उसका भी कारण है, जब तक हो सके बड़ वृक्ष की छाया में जाकर बैठने से एकदम तरो ताजा हो जाते हैं। एवं दिल की बीमारियों में लाभ मिलता है।यह बड़ वृक्ष अमर है। यह कभी खत्म नहीं होता। मानवों ने अपने भलाई के लिए स्वार्थ में आकर इसे काट कर खत्म किया है। कितना भी क्यों नष्ट ना किया जाए, फिर भी वह बड़ वृक्ष मिलों दूर जाकर ऊपजता है।


    


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