पछतावे में ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में पछतावा यही काम रह गया है क्या ?? पछतावे में ज़िन्दगी, ज़िन्दगी में पछतावा यही काम रह गया है क्या ??
कैसे बुधिया को इस नशे की लत से बाहर निकालूँ कुछ समझ नहीं आता । कैसे बुधिया को इस नशे की लत से बाहर निकालूँ कुछ समझ नहीं आता ।
संघर्ष की बदौलत हम सभी भाई बहन एक स्तम्भ के जैसे इस समाज में स्थापित हुए है। संघर्ष की बदौलत हम सभी भाई बहन एक स्तम्भ के जैसे इस समाज में स्थापित हुए है।