usha yadav

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आंतरिक सुन्दरता

आंतरिक सुन्दरता

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सुंदर होना हर किसी की ख्वाहिश होती है। अक्सर हम किसी की बाह्य सुंदरता से उसकी भीतरी सुंदरता का आंकलन भी कर लेते हैं। परंतु मेरे ख्याल से तन की सुंदरता की अपेक्षा मन का सुंदर होना बहुत जरूरी है।

यदि हम किसी व्यक्ति को देख कर उसकी सुंदरता के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। तो यह हमारा सिर्फ उसके प्रति आकर्षण है हमें नहीं पता कि उस व्यक्ति का व्यवहार हमारे प्रति कैसा होगा? हमारा चित्त और मन जैसा सोचता है वही चीज हमारे व्यवहार में भी उतरती है।

यदि हम किसी के प्रति अच्छा व्यवहार करते हैं या किसी व्यक्ति की हम मदद करते हैं,तो इस नाते हमारा तन ही सुंदर नहीं बल्कि हमारा मन भी सुंदर है।

मेरा तो यह मानना है कि बाहरी सुंदरता उम्र के साथ ढल जाती है मगर आंतरिक सुंदरता स्थायी रहती है। हर व्यक्ति एक जीवन के साथ इस संसार में अवतरित होता है।

और उसी जीवन को जीता है जब वह कि संसार को विदा कर के चला जाता है। तब भी वे हमारे आचार विचार व्यवहार आदि को यानि आंतरिक सुंदरता के बल पर लोगों के दिल में जिंदा रहता है। इसे आप क्या कहेंगे कि व्यक्ति के जीवन में आंतरिक सुंदरता का महत्व है बाह्य सुंदरता का।

बाहरी सुंदरता प्राकृतिक संसाधनों की देन होती है। यदि जितना धन हम अपने बाह्य सुंदरता पर करते हैं उतने ही सुंदर लगेंगे। परंतु इसके बजाय आंतरिक सुंदरता हमारे संस्कारों की देन होती है। जो हमारे गुणों में मौजूद होती है गुणों से हम अपने आंतरिक तथा बाह्य दोनों सुंदरता को बढ़ा सकते हैं।


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