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Hemlata Sharma MALVI BHOLI BEN

Others

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Hemlata Sharma MALVI BHOLI BEN

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आगर की होली

आगर की होली

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मध्य प्रदेश के आगर-मालवा जिले के लगभग सभी श्रीनाथ मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण को होली के 5 दिन पूर्व से रंग गुलाल, अबीर एवं केसूडी के फूलों का पीला रंग बनाकर होली खिलाई जाती है। *"नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की"* गीत गाते हुए दर्शन करने आए भक्त झूम उठते हैं । साथ ही उन पर भी रंग गुलाल उड़ाया जाता है । सभी के चेहरे खिले हुए रहते हैं और एक उल्लास का वातावरण निर्मित हो जाता है। विशेष बात यह है कि कोई भी व्यक्ति उस रंग से बचने की कोशिश नहीं करता है न उन्हें अपने वस्त्रों की चिंता रहती है, बल्कि रंगों से सराबोर होने के लिए लालायित नजर आते हैं।

आगर में होली का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है । यहां पर जगह-जगह होली का डांडा रोपा जाता है । लगभग प्रत्येक मोहल्ला, हर गली और हर चौराहे पर होली का डांडा गाड़ा जाता है और होली बनाई जाती है। उसे फूल मालाओं एवं सीरींज आदि से सजाया जाता है आसपास मंडप बी ताना जाता है और रोशनी की जाती है। धुलंडी के एक दिन पूर्व होली का पूजन करने हेतु घरों से महिलाएं सज-संवर कर थालियां तैयार कर पूजन हेतु निकल पड़ती हैं। चारों और उल्लास का वातावरण होता है । संध्या समय को मोहल्ले की लगभग सभी महिलाएं घरों से एक दूसरे को बुलाते हुए होलिका पूजन करने पहुंचती है । होली का पूजन कर उसकी परिक्रमा आदि करती है। लगभग रात्रि 9-10 बजे तक यह क्रम जारी रहता है ।

अगले दिन तड़के चार बजे कण्डों और लकड़ियों से जमी होलिका दहन मोहल्ले के वरिष्ठ व्यक्ति के हाथों किया जाता है और घरों से समस्त पुरुष और बच्चे होली तापने हेतु पहुंचते हैं । साथ ही एक नारियल लेकर होली में होम करते हैं । इसके पीछे मान्यता यह है कि मौसम बदलते ही विभिन्न रोगों का संचार होने लगता है और मनुष्य को स्वस्थ रहने हेतु होलिका दहन का ताप या उष्मा उन रोगों को समाप्त करने में और मनुष्य को निरोगी रखने में सहायक होती है । साथ ही नारियल का होलिका में होम करने से घर की सभी बुराइयों और बुरी शक्तियों का विनाश हो जाता है। इसके साथ ही शुरु होता है रंगों का त्योहार- होली । बच्चे पिचकारी में रंग भर कर एक दूसरे पर छिड़कने लगते हैं पुरुष और महिलाएं अलग -अलग टोलियों में एक- दूसरे को रंग लगाने हेतु घरों से निकल पड़ते हैं। दिनभर एक दूसरे के घरों में जाकर रंग लगाया जाता है और शाम को लगभग सभी मोहल्लों में ठंडाई घोटी जाती है । इस ठंडाई की विशेषता यह होती है कि इसमें भांग बिल्कुल भी नहीं मिलाई जाती है तथा यह गाय के दूध से ही बनाई जाती है ताकि बच्चे बूढ़े सभी लोग उसे ग्रहण कर सके और उनके स्वास्थ्य को नुकसान भी ना हो। साथ ही बेसन ‌चक्की , सेव आदि का सेवन किया जाता है । इस प्रकार होली का रंगीला त्यौहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। 





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