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थका हारा...

थका हारा बिस्तर पे पड़ा खुदसे मासूमियत जता रहा हू... आंखे खुली ना जाने किस कोने पर टिकी सी है उसे ना मै देख पा रहा हू... ना जाने किन खूबसरत बातो को मन मे सजाए उनपे ही ध्यान लगा रहा हू मन ही मन बस मुस्कुरा रहा हू...

By Kamal deep
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