Kamal deep
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थका हारा बिस्तर पे पड़ा खुदसे मासूमियत जता रहा हू... आंखे खुली ना जाने किस कोने पर टिकी सी है उसे ना मै देख पा रहा हू... ना जाने किन खूबसरत बातो को मन मे सजाए उनपे ही ध्यान लगा रहा हू मन ही मन बस मुस्कुरा रहा हू...

बया ए इश्क़ होता तो कर भी देते... अब उन बेरुखी की क्या तुमको मै वजह बताऊ..

ज़रा सी बेवफाई ज़रा सा इश्क़ और वो ज़रा सा साथ तुम्हारा बस इतनी सी ही है तेरी मेरी कहानी

तुमने कहा था साथ निभाओगे.. अरे ज़रा बता तो देते किसका...


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