सर्दियों की गुनगुनी धूप मैंने सिरहाने रख ली थी सर्दियों की गुनगुनी धूप मैंने सिरहाने रख ली थी
वो मेरी कच्ची पाठशाला, वो गुरूजी के पक्के संस्कार वो मेरी कच्ची पाठशाला, वो गुरूजी के पक्के संस्कार