अव्यवस्थित सा दिख रहा हर तंत्र है, क्या सचमुच हो गए हम स्वतंत्र हैं ? अव्यवस्थित सा दिख रहा हर तंत्र है, क्या सचमुच हो गए हम स्वतंत्र हैं ?