परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।। परहित कर विषपान, महादेव जग के बने। सुर नर मुनि गा गान, चरण वंदना नित करें।।
करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते। करके तांडव नृत्य, प्रलय जग की शिव करते। विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।