तब कोई शागिर्द तेरे साथ ना होगा साथ तेरे हैं तेरी शोहरत को देखकर। तब कोई शागिर्द तेरे साथ ना होगा साथ तेरे हैं तेरी शोहरत को देखकर।
जब तुम जीवन दे नहीं सकते जीवन ले कैसे सकते हो प्रिय सुशांत। जब तुम जीवन दे नहीं सकते जीवन ले कैसे सकते हो प्रिय सुशांत।
जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था? जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था?