दुख की रात भी मिटेगी सुख की धूप भी खिलेगी सवेरा नया फिर आएगा । दुख की रात भी मिटेगी सुख की धूप भी खिलेगी सवेरा नया फिर आएगा ।
ये कविता मानव स्वभाव की जटिलता के सामने विज्ञान के बौनेपन को दर्शाते हुए लिखी गई है. ये कविता मानव स्वभाव की जटिलता के सामने विज्ञान के बौनेपन को दर्शाते हुए लिखी गई...