बेचैन हुई मैं बावरी बन गई, रुत सावन सी थी मैं अब पतझड़ सी सूनी हो गई बेचैन हुई मैं बावरी बन गई, रुत सावन सी थी मैं अब पतझड़ सी सूनी हो गई