रिश्तों को पीछे छोड़ता, वक़्त की कमी का रोना रोता वह घसीटता है आत्म, क़ैद कर ख़ुशी को। रिश्तों को पीछे छोड़ता, वक़्त की कमी का रोना रोता वह घसीटता है आत्म, क़ैद कर ख़ुश...