कलकल बहती धार नदी की मिश्री कानों में घोल रही। पर्वतों की खूबसूरती सबके सर चढ़कर बोल रही। आंख खु... कलकल बहती धार नदी की मिश्री कानों में घोल रही। पर्वतों की खूबसूरती सबके सर चढ...