धन लोलुपता सुरसा जैसी, मुँह फैलाये अड़ी हुई, निकले पूत कपूत मात के, कील हृदय में गड़ी धन लोलुपता सुरसा जैसी, मुँह फैलाये अड़ी हुई, निकले पूत कपूत मात के, कील हृदय ...