ऑंखें सुराही बन घूंट-घूंट चांदनी को पीती रहीं ! ऑंखें सुराही बन घूंट-घूंट चांदनी को पीती रहीं !
अपने कर्मों से उसे बदलने का निश्चय कर आगे बढ़िये, अपने कर्मों से उसे बदलने का निश्चय कर आगे बढ़िये,