आज के शिक्षा व्यवस्था की कलई खोलती कविता आज के शिक्षा व्यवस्था की कलई खोलती कविता
यदि फिर भी तुम्हें लगता है मुझमें कुछ अभी बाकी भी है तो सब तुम्हारा ही है केवल तुम्हारा वो हिस्स... यदि फिर भी तुम्हें लगता है मुझमें कुछ अभी बाकी भी है तो सब तुम्हारा ही है केव...
आत्ममोह से ग्रसित लोगों पर तंज़ कसती कविता... आत्ममोह से ग्रसित लोगों पर तंज़ कसती कविता...