क्यूँ ये होती हैं, नम आँखे, काटे कटते नहीं है, दिन और रातें। क्यूँ ये होती हैं, नम आँखे, काटे कटते नहीं है, दिन और रातें।
सरहदों पर कितने पहरे हो गए, ज़ख्म फिर से कितने गहरे हो गए। सरहदों पर कितने पहरे हो गए, ज़ख्म फिर से कितने गहरे हो गए।
हठ कोई जैसे यह दिल कर बैठा हो खुद को तकलीफ खुद ही यह देता है खुद ही हंसाती है , खुद ही रुलाती है झूठ... हठ कोई जैसे यह दिल कर बैठा हो खुद को तकलीफ खुद ही यह देता है खुद ही हंसाती है , ...